विदुर जी का नाम प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है। वे महाभारत के केंद्रीय पात्रों में अपना एक विशिष्ट स्थान रखते है। विदुर जी हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री थे साथ ही महाभारत में वह पांडवों के हितैषी और सलाहकार भी थे। विदुर जी को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है।
आज भी उनके द्वारा बताई गयी “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” को पढ़ा और उसका अनुसरण किया जाता है। इस लेख में हम आपको “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” बारे में बता रहे है जिसे पढ़कर आप भी उन्हें अपने जीवन में अपना सकते है।
“विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” जानने से पूर्व यह जान लेते है कि विदुर जी कौन थे ?
विदुर कौन थे (Vidur Kaun Tha)
महाभारत के विषय में आप सभी जानते है। महाभारत में विदुर जी का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है। विदुर हस्तिनापुर में कुरु वंश के प्रधानमत्री थे। उनके पिता ऋषि व्यास थे और उनकी माता दासी परिश्रमी थी। महात्मा विदुर के जन्म की कथा बहुत ही रोचक है। जो इस प्रकार है।
विदुर जी की जन्म कथा – शांतनु हस्तिनापुर में राजा थे और उनकी पत्नी रानी सत्यवती थी। उनके दो पुत्र थे चित्रांगद और विचित्रवीर्य। चित्रांगद और विचित्रवीर्य जब छोटे थे , तो उनके पिता राजा शांतनु की मृत्यु हो गयी। तब दोनों बालकों का पालन- पोषण भीष्म ने किया। बड़े होने पर चित्रांगद को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया। परन्तु वह गन्धर्व से युद्ध के दौरान परम गति को प्राप्त हुए। इसके बाद छोटे भाई विचित्रवीर्य के हाथों में राज्य की डोर दी गयी।
विचित्रवीर्य का विवाह दो कन्याओं अम्बिका और अम्बालिका के साथ हुआ। परन्तु विचित्रवीर्य भी विवाह के उपरांत मृत्यु को प्राप्त हुए। इस तरह पुत्रों की मृत्यु पर रानी सत्यवती को अपने वंश की चिंता होने लगी और वंश को आगे बढ़ाने के लिए उन्होने अम्बिका और अम्बालिका से भीष्म को विवाह करने का प्रस्ताव रखा। परन्तु भीष्म ने विवाह करने से इंकार कर दिया।
फिर रानी सत्यवती ने व्यास ऋषि से इस विषय में मदद मांगी। इसके बाद जब अम्बिका ऋषि वेद व्यास के पास गयी तो वह उनकी कुरूपता को देखकर इतना डर गयी की उन्होंने आंखे बंद कर ली। इस कारण धृतराष्ट्र जन्म से भी अंधे पैदा हुए। और जब अंबालिका ऋषि व्यास के पास गयी तो उन्हें देखकर उनका शरीर पीला पड़ने लगा जिस कारण उनके द्वारा उत्पन्न पुत्र पाण्डु का रंग पीला हुआ।
दोनों पुत्र शारीरिक रूप से स्वस्थ्य नहीं होने के कारण रानी सत्यवती ने पुनः अम्बिका को ऋषि वेद व्यास के पास भेजा परन्तु इस बार अम्बिका वहां नहीं गयी बल्कि अपनी दासी परिश्रमी को वहां भेज दिया। ऋषि वेदव्यास और दासी परिश्रमी से जो पुत्र उत्पन्न हुआ उसका नाम विदुर रखा गया। जो आगे चलकर प्रसिद्ध हो गए। सुलभा नामक कन्या से विदुर जी का विवाह हुआ।
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विदुर नीति क्या है (Vidur Neeti In Hindi)
प्राचीन काल से कई ऐसे महापुरुष विख्यात है जिनके द्वारा बताई गयी नीतियाँ आज भी प्रचलित है। जैसे कि चाणक्य नीति। इनकी नीतियों को लोग आज भी अनुसरण करते है। ऐसे ही महापुरुषों में विदुर नीति भी प्रसिद्ध है। विदुर नीति में राजा और उनकी प्रजा के प्रति उचित दायित्वों की यथाविधि नीति का विवरण किया गया है। विदुर नीति केवल युद्ध नीति नहीं है। इसमें जीवन व्यवहार, जीवन प्रेम भी निहित है। महाभारत में यह उद्योग पर्व के रूप में वर्णित किया है। महाभारत में विदुर नीति उद्योग पर्व में 33 वें अध्याय से लेकर 40 वें अध्याय तक है।
वास्विकता में विदुर-नीति में महाभारत के युद्ध के पहले होने वाले परिणामों के प्रति शंका को लेकर हस्तिनापुर महाराज धृतराष्ट्र और विदुर के संवाद है। जिसे ही विदुर नीति कहा गया है। विदुर जी ने महाभारत के परिणामों को भांपते हुए युद्ध ना करने की सलाह भी दी परन्तु वह सफल नहीं हुए।
विदुर नीति श्लोक अर्थ सहित (Vidur Neeti Quotes In Hindi)
श्लोक – 1
षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता ।।
सार – “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” के अनुसार किसी भी पुरुष को यदि सफलता या उन्नति प्राप्त करनी है, तो उसे इन छः दुर्गुणों का त्याग कर देना चाहिए। यह छः दुर्गुण यदि किसी व्यक्ति में होते है तो वह व्यक्ति को बर्बाद कर सकते है। वह दुर्गुण है अधिक नींद, उंघना, भय या फिर डर, क्रोध, आलस, जो कार्य जल्दी हो सकते हो उन्हें करने में देरी करना।
अधिक नींद – इससे तात्पर्य यह है कि यदि आप अपना ज्यादा समय सोने में व्यतीत करते है तो आप आपके कार्यों पर ध्यान नहीं दे सकते और समय पर कोई भी कार्य पूर्ण नहीं कर सकते है। इससे सफलता आपसे कोशो दूर हो सकती है।
उंघना – दिन भर यदि आप ऊँघने में व्यतीत करते है तो भी आप अपने कार्यों को सजगता से पूर्ण नहीं कर सकते।
भय – यदि किसी भी कार्य को करने में आपको भय लग रहा है तो भी आप उस कार्य को पूर्ण करने में सफल नहीं हो सकते है। इसलिए निर्भय होकर कार्य करे और उन्नति के पथ पर बढे।
क्रोध – अधिक क्रोध आपकी उन्नति के पथ में बाधक होता है। यह आपको विवेकहीन बना देता है।
आलस – यदि आप ज्यादा आलस करते है तो आप आपके कार्यों को सही समय में नहीं कर सकते। इसलिए इसका भी त्याग करे।
कार्य में देरी – कुछ ऐसे कार्य जो जल्दी पूर्ण किये जा सकते है परन्तु आप उन छोटे छोटे कार्यों को करने में अधिक समय लगा रहे है तो इस आदत को भी जल्द ही बदल दे।
श्लोक – 2
सुखार्थिनः कुतो विद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम्।
सुखार्थी वा त्यजेत् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम्॥
सार – “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” के अनुसार विद्यार्थियों के लिए कहा गया है यदि आप विद्या अर्जित करना चाहते है तो आप सुख की अपेक्षा न करे। तभी आपको विद्या प्राप्त होगी। यदि आप सुख की इच्छा रखते है तो विद्या प्राप्त नहीं कर सकते।
श्लोक – 3
एक: पापानि कुरुते फलं भुङ्क्ते महाजन:।
भोक्तारो विप्रमुच्यन्ते कर्ता दोषेण लिप्यते॥
सार – “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” के अनुसार यह बताने का प्रयास किया गया है कि यदि आप अकेले ही कोई पाप कार्य कर रहे है। परन्तु उसका फ़ायदा आपके साथ साथ अन्य लोग भी ले रहे है तो भी दोषी केवल और केवल आप ही होंगे। उसमे अन्य लोगों की कोई भागीदारी नहीं होती है।
श्लोक – 4
येऽर्थाः स्त्रीषु समायुक्ताः प्रमत्तपतितेषु च।
ये चानार्ये समासक्ताः सर्वे ते संशयं गताः॥
सार – “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” के अनुसार यह बताया गया है कि यदि आप अपनी सम्पति को सुरक्षित रखना चाहते है तो कभी भी ऐसे व्यक्तियों को अपनी सम्पति ना सौंपे। अन्यथा आपकी सम्पति बर्बाद हो जाएगी। वह है अधम, आलसी, दुर्जन, स्त्री के हाथों में कदापि सम्पति ना दे। बल्कि इनसे सावधानी रखना ही उचित है।
श्लोक – 5
स्त्रीषु राजसु सर्पेषु स्वाध्यायप्रभुशत्रुषु।
भोगेष्वायुषि विश्चासं कः प्राज्ञः कर्तुर्महति॥
सार – “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” के अनुसार बुद्धिमानी को राजा, शत्रु, स्त्री, साँप, धातु, भोग व् लिखी हुयी बात पर कभी भी ऑंखें बंद कर विश्वास नहीं करना चाहिए। अन्यथा वह इनसे धोखा खा सकता है।
श्लोक – 6
निषेवते प्रशस्तानी निन्दितानी न सेवते।
अनास्तिकः श्रद्धान एतत् पण्डितलक्षणम्॥
सार – “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” में विदुर जी ने एक पंडित में क्या क्या अच्छे लक्षण होने चाहिए यह बताया है। उन्होंने कहा है कि जो व्यक्ति यज्ञ करता है। भगवान में विश्वास रखता है। दान और जन कल्याण के कार्यों में लगा रहता है। जिसमे सद्गुण होता है और वह अच्छे कर्म करता है। यह लक्षण उसके पंडित होने की निशानी होते है।
श्लोक – 7
ईर्ष्या घृणो न संतुष्ट: क्रोधनो नित्यशङ्कित:।
परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:॥
सार – “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” के अनुसार जिस भी व्यक्ति में क्रोध, ईर्ष्या, असंतोष, दूसरों के प्रति शंका, घृणा, दूसरों पर आश्रित होना यह छह प्रकार के दोष पाए जाते है वह व्यक्ति सुख होने पर भी दुखी ही रहता है।
क्रोध – जो लोग अधिक क्रोध करते है वह स्वयं का ही नुक्सान कर लेते है। क्यूंकि क्रोध के समय वह विवेक से काम नहीं लेते है।
ईर्ष्या – यदि आपके मन में दूसरों के प्रति ईर्ष्या भाव है तो आप कभी भी खुश नहीं रह सकते है।
असंतोष – असंतोष भी मन को दुखी बनाता है इसलिए इसका भी त्याग करना चाहिए।
दूसरों के प्रति शंका – दूसरों के प्रति शंका का भाव रखना भी सही नहीं होता है। यह आपके लिए ही नुकसानकारी होता है।
दूसरों पर आश्रित रहना – यदि आप हर समय दूसरों पर आश्रित रहते है तो भी आप दुखी रहेंगे। इसलिए खुद पर भरोसा रखते हुए कार्य करे।
ये था “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” के वचनों में से सात वचन। आशा है आपको यह पसंद आएंगे और आप इन्हे अपने जीवन में भी शामिल करेंगे।
Frequently Asked Questions
Question 1: “विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” में विदुर जी द्वारा क्या बताया गया है ?
“विदुर नीति के अनमोल वचन (vidur neeti in hindi)” में विदुर जी ने महाभारत के समय हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र को न्याय संगत तर्क बताये थे। जो आगे चलकर विदुर नीति के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
Question 2: महात्मा विदुर को किसका अवतार माना गया है?
महात्मा विदुर जी को धर्मराज का अवतार माना गया है।
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