हिन्दू धर्म जिसे पहले सनातन धर्म के नाम से जाना जाता था, एक विशाल धर्म है। हिन्दू धर्म के कई ग्रन्थ और शास्त्र लिखे गए है जिसमें ईश्वर से मिले ज्ञान को बताया गया है। वेद हमारा सबसे पहला ग्रन्थ है। वेद ज्ञान का महासागर है जिसमें मनुष्य के जीवन के हर पहलु और उसकी हर परेशानी का सटीक हल बताया गया है। आज भी वेद को भारत में बढ़ी ही श्रद्धा और आस्था के साथ पढ़ा और सुना जाता है। वेद पवित्र ग्रन्थ है जो जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि वेद क्या है, वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain) और हर वेद का विस्तार में वर्णन।
वेद क्या है? What are Vedas?
वेद हिन्दू धर्म का सबसे पुराना और अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रन्थ है। इन्हें सभी धर्म ग्रंथो में सर्वोपरी माना गया है। कह सकते हैं कि वेद अब तक के सबसे पुराने सर्वोपरी लिखित दस्तावेज हैं। इतिहासकारों के अनुसार धार्मिक ग्रन्थ वेद से ही अन्य सभी धर्म बने हैं। लोगों ने धर्म ग्रन्थ में लिखित बातों को अपनी अपनी तरह से और अपनी अपनी भाषा में प्रचारित किया। वेद ज्ञान का भंडार है। वेद हमारी उन्नत और विकसित संस्कृति का लिखित रूप है। वेद में गणित, ज्योतिष, धर्म, विज्ञान, खगोल, औषधि आदि विषयों का अभूतपूर्व भंडार है।
इतिहासकारों के लिए वेद एक स्त्रोत है जिससे उन्हें कई रोचक और कई अनोखी जानकारियां मिल सकती है। हिन्दू धर्म में वेद को ईश्वर द्वारा मनुष्य जाति को जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझाने का बेहतरीन स्त्रोत माना गया है। इस ग्रन्थ का संकलन कृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी ने किया है। उन्होंने पहले मंत्रों के गूढ़ रहस्य को जाना, उसे समझा और फिर उसका चिन्तन और मनन करके उसे ग्रन्थ के रूप में लोगों के लिए तैयार किया।
वेद हमारी विकसित संस्कृति और ज्ञान विज्ञान का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। वेद को श्रुति भी कहते हैं क्यूंकि इसमें ऋषियों द्वारा दिए गए ज्ञान का समावेश है। वेद हमारे देश के आध्यात्मिक चिंतन है। ज्यादातर लोगों को पता है वेद एक पवित्र हिन्दू धर्म ग्रन्थ है लेकिन ये बहुत कम लोगों को पता है कि वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain)।
Ved Kitne Prakar Ke Hote Hain? वेद कितने प्रकार के होते हैं ?
क्या आपसे कई लोगों ने पूछा है कि वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain)? आइये जानते है वेद के प्रकार (types of vedas) और कैसे हर वेद अपने आप में एक जीवन मार्ग दर्शाता है।
वेद चार प्रकार के है। इन चारों वेदों को संहिता के नाम से भी जाना जाता है। हमारे धर्म अनुसार चार वेदों (4 types of vedas) के नाम हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
1) ऋग्वेद (Rigveda)
वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain) की श्रृंखला में पहला है ऋग्वेद। ऋग्वेद का अर्थ है स्थिति और ज्ञान। चारों वेदों में ये पहला वेद है और ये वेद पद्यात्मक है। ऋग्वेद में 10 अध्याय है जिसमें 1028 सूक्तियां हैं। इन सूक्तियों में 11 हज़ार मंत्र हैं। विद्वानों के अनुसार वेद की 5 शाखाएं हैं जो इस प्रकार हैं – वास्कल, शाकल्प, शांखायन, शाकल्प और मंदुकायन।
ऋग्वेद में पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति के साथ साथ देवताओं के आह्वान के मंत्र भी लिखित हैं। इसके अलावा भी इसमें बहुत कुछ हैं। इसमें देवी देवताओं की प्रार्थना, उनके मंत्र, उनकी स्तुतियाँ हैं। इसमें ये भी वर्णन हैं कि देवलोक में देवी देवता कैसे रहते थे। इसमें लिखित स्तुतियाँ वायु, अग्नि, इंद्र, वरुण, मरुत, विश्वेद, प्रजापति, उषा, सूर्य, रूद्र, पूषा और सविता आदि देवताओं के लिए है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ऋग्वेद में सौर चिकित्सा, वायु चिकित्सा, मानस चिकित्सा, जल चिकित्सा का भी वर्णन है। इसमें हवन द्वारा चिकित्सा कैसे की जाती है उसका भी उल्लेख है। ऋग्वेद के दसवें अध्याय में दवाइयों का भी उल्लेख है। प्राचीन काल के इस ग्रन्थ में 125 के आसपास दवाइयां बताई गयी हैं। ये भी बताया गया है कि वो दवाइयां किन 107 स्थानों पर मिलती हैं। ऋग्वेद में सोम औषधि का विशेष विवरण है। इस वेद में च्यवनऋषि के फिर से जवान और युवा होने की कथा का भी वर्णन है। इस वेद में गायत्री मंत्र भी लिखित है।
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2) यजुर्वेद (Yajurveda)
वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain) की श्रृंखला में अगला वेद है यजुर्वेद। यजुर्वेद में यज्ञ के बारे में बताया गया है। इसमें इससे सम्बंधित सभी जानकारी को श्लोकों और मंत्रो के जरिए बताया गया है। इसमें बताया गया है कि कौन कौन से यज्ञ होते हैं, उस यज्ञ को करने का उद्देश क्या है और उस यज्ञ को करने का सही तरीका क्या है। इस वेद में गद्यात्मक मंत्र लिखित हैं जिसकी संख्या करीबन 1975 है।
यजुर्वेद में सिर्फ यज्ञ का ही नहीं बल्कि तत्वज्ञान के बारे में भी बताया गया है। इसमें आत्मा, ब्रह्मा और परमात्मा के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान दिया गया है। विद्वानों के अनुसार इसकी दो शाखाएं हैं एक है शुक्ल और एक है कृष्ण। कृष्ण शाखा का सम्बन्ध वैशम्पायन ऋषि से है और याज्ञवल्क्य ऋषि का सम्बन्ध सुखल शाखा से है। शुक्ल शाखा की दो शाखा हैं और इसमें करीबन 40 अध्याय है। इस शाखा में कृषि और वैध विज्ञान के बारे में बताया गया है।
3) सामवेद (Samaveda)
वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain) की श्रृंखला में तीसरा वेद है सामवेद। सामवेद का अर्थ है संगीत और मंत्रो का रूपांतरण। इसमें ऋग्वेद में वर्णित मंत्रो को संगीतमय रूपांतरण दिया है। कहते हैं संगीत शास्त्र इसी पर आधारित है। इसमें कुल 1824 मंत्रो को संगीतमय बनाया गया है जिसमें से 1749 मंत्र ऋग्वेद में वर्णित है। इस वेद की 75 रचनाएं और 3 शाखाएं हैं। इन सभी रचनाओं में सविता, इंद्रदेव और अग्निदेव के बारे में बताया गया है।
4) अथर्ववेद (Atharvaveda)
वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain) की श्रृंखला में अगला है अथर्ववेद। इस वेद को अथर्व ऋषि ने रचा है। इसमें कुल 20 अध्याय हैं जिसमें 6000 पद्य और 731 मंत्र हैं। इस वेद में टोना टोटका, जादू टोना, भूतप्रेत के साथ साथ जड़ी बूटी का भी उल्लेख है।
इस वेद में प्रजापति की दो कन्याओं सभा और समिति के बारे में बताया गया है। इसमें कुरुओं के राजा परीक्षित और उसके समृद्ध देश के बारे में सुन्दर चित्रण है। इस वेद में मनुष्य जाति के बीच फैले अंधविश्वासों और विचारों का विवरण है।
वेद का महत्व
विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ अर्थात वेद, विभिन्न विषयों का ज्ञान अपने अंदर संजोए हुए हैं। ऋग्वेद में जहाँ एक ओर गायत्री मंत्र का उल्लेख है, वहीं इसमें सृष्टि की रचना का भी वर्णन है। ऋग्वेद का ही नदी सूक्त वैदिक काल में नदियों के जीवनदायी स्वरुप को भी दर्शाता है। यजुर्वेद, यज्ञ के ज्ञान के साथ ही गणित और ज्यामिति का ज्ञान भी बताता है। सामवेद इस संसार में संगीत का सबसे प्राचीन ग्रन्थ माना जाता है। अथर्ववेद में जीवन के अनेकों विषयों की चर्चा है, फिर चाहे वह वनस्पति तथा जड़ी-बूटियाँ हों या फिर भूमि सूक्त में समझाया गया मातृभूमि प्रेम हो।
वेद भारतीय परम्पराओं और संस्कृति का आधार है। वेद में मानव जीवन के कल्याण से सम्बन्धी ज्ञान का समावेश है। इसमें मनुष्य की हर समस्या का समाधान है। जो लोग अपनी राह से भटक गये हैं उनके लिए वेद पथ प्रदर्शक है जो उन्हें सही राह पर ले आएगा। ईश्वर ने ही मनुष्य को बनाया और इन वेदों में उनके द्वारा ये बताया गया है कि मनुष्य को इस दुनिया में कैसे रहना चाहिए। इसे पढ़ कर मनुष्य जीवन जीने की कला में पारंगत हो जाता है।
वेदों का सार
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वेद कैसे पढ़े?
वेद पढ़ने के लिए जरुरी है कि पहले आप वेद क्या है ये जानें। वेद पढ़ने के लिए व्यक्ति को संस्कृत का सम्पूर्ण ज्ञान होना जरुरी है ताकि वो वेद में लिखी बातों को समझ सके और उसका गहन मंथन कर सके। वेद के मंत्र एक तरह के कोडेड भाषा में है। वेदों में ऋषि का नाम लिखा होगा और ये भी होगा कि ये मंत्र किसके के बारे में है और ये किस तरह के छंद के रूप में है। जब भी आप मंत्र पढ़े उसे समझे, महसूस करे, ध्यान करे ताकि वो आपके जहन में उतर जाए और जो भी आप भी पढ़े उसे अपने जीवन में अपनाकर जरुर देखे।
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उम्मीद है आपको पता चल गया होगा कि वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain).
Frequently Asked Questions
वेद कितने प्रकार के होते हैं (Ved kitne prakar ke hote hain) यह लेख पढ़कर आपको वेदों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई होगी। वेदों से सम्बंधित आपके अन्य प्रश्नों के उत्तर यहाँ जानिये :
Question 1: वेद कितने हैं? Ved kitne hain?
हिन्दू धर्म ग्रंथों में चार वेद बताये गए हैं। ये चार वेद इस प्रकार हैं : ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ऋग्वेद में सनातन धर्म का मूल ज्ञान, यजुर्वेद में यज्ञ परंपरा, सामवेद में संगीत का आधार और अथर्ववेद में जीवन से जुड़ी ज्ञान प्रणाली मिलती है।
Question 2: सबसे पुराना वेद कौन सा है? Sabse purana ved kaun sa hai?
जब भी सबसे पुराना वेद या सबसे प्राचीन वेद कौन सा है, यह प्रश्न पूछा जाता है, तो इसका उत्तर ऋग्वेद ही होगा। इसकी रचना लगभग 3500 वर्ष पूर्व हुई थी। विभिन्न दार्शनिक और साहित्य साक्ष्य दर्शाते हैं कि ऋग्वेद की रचना भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में हुई थी, जो संभवतः 1500 और 1000 ईसा पूर्व के बीच थी।
Question 3: सबसे बड़ा वेद कौन सा है?
सबसे बड़ा वेद ऋग्वेद है। ऋग्वेद में 10 मंडल एवं 1028 सूक्त या सूत्र हैं।
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