जब भी धर्मग्रंथों की बात होती है, तब वेदों के बाद उपनिषदों का नाम आता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai)? परमत्मा ने सृष्टि का निर्माण कर मनुष्य की रचना की, तब आवश्यक था कि मनुष्य को ज्ञान प्रदान किया जाए। इस प्रकार रचना हुई वेदों की तथा उन वेदों से उपनिषदों की रचना हुई।
वेद में एक और जहाँ मनुष्य को जीवन यापन के लिए आवश्यक व्यावहारिक अथवा भौतिक ज्ञान दिया, वहीं आत्मा, परमात्मा जिसे हम आत्मविद्या या ब्रह्मविद्या कहते हैं, के बारे में भी ज्ञान प्रदान किया गया। वेद भौतिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान दोनों को एक साथ लेकर मोक्ष प्राप्ति के उपाय बताते हैं। वेदों में लिखित ज्ञान बहुत ही गूढ़ भाषा में लिखा गया है, जिसे समझना साधारण मनुष्यों के लिए थोड़ा मुश्किल था, तब ऋषि मुनियों ने सरल भाषा में कहानी आदि के माध्यम से श्रोताओं को ब्रह्मज्ञान जैसे वेदों के गूढ़ रहस्यों को प्रदान किया।
उपनिषद क्या है? Upnishad Kya Hai?
उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai) इसको समझने से पहले उपनिषद शब्द का मूल समझना आवश्यक है। उपनिषद तीन शब्दों “उप”, “नि” और “षद” से मिलकर बना है, “उप” अर्थात समीप या किसी के पास, “नि” का अर्थ निश्चय करके और “षद” अर्थात जानना, इस प्रकार उपनिषद अर्थात गुरु के चरणों में ज्ञान प्राप्ति का निश्चय लेकर बैठना और ज्ञान प्राप्त करना। जब कोई गृहस्थ व्यक्ति ऋषियों के आश्रम में जाता था, तब ऋषि उसे सरल कहानियों के माध्यम से ब्रह्मज्ञान देते थे। इसमें व्यक्ति के प्रश्न होते थे तथा ऋषि कहानियों के माध्यम से उत्तर देते थे, कहानियों के माध्यम से दिए गए उस ज्ञान का संकलन उपनिषद कहलाता है।
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उपनिषद का महत्व? Upnishad Ka Mahatva?
वेदों में लिखित गूढ़ ज्ञान को ही उपनिषदों में सरल भाषा में लिखा गया है, अतः प्रत्येक उपनिषद चार वेदों में से किसी एक वेद पर आधारित है। उपनिषदों में ब्रह्म ज्ञान जैसे गूढ़ रहस्यों के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी है।
उपनिषदों में गुरु और शिष्यों के मध्य संवाद के द्वारा ज्ञान चर्चा की गयी है। उपनिषदों में ब्रह्म, मृत्यु, मोक्ष सहित कई प्रकार के भौतिक और आध्यात्मिक विषयों के बारे में चर्चा की गयी है।
उपनिषद कितने हैं? Upnishad kitne hain?
उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai) तथा उपनिषद का महत्व जानने के बाद अब जानते हैं कि उपनिषद कितने हैं। वैसे तो उपनिषदों की संख्या 108 मानी जाती है, परन्तु उनमें से 11 उपनिषद ही प्रमुख हैं, जो प्रामाणिक माने जाते हैं। आइये जानते हैं इन 11 उपनिषदों के बारे में –
1) ईशोपनिषद
उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai) इस कड़ी में पहला उपनिषद है ईशोपनिषद, यजुर्वेद के 40वें अध्याय को ही ईशोपनिषद कहा जाता है तथा इसमें कुल 18 मंत्र हैं। इस उपनिषद के माध्यम से हमें ईश्वर सर्वव्यापक है, कर्म के विषय में किस प्रकार से मनुष्य को निष्काम कर्म करते हुए 100 से अधिक वर्ष जीने की इच्छा करनी चाहिए तथा कैसा कर्म करने पर कैसी योनि में जन्म मिलता है, इस बारे में हमें ज्ञान प्राप्त होता है।
2) केनोपनिषद
उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai) इस सूची में अगला उपनिषद है केनोपनिषद, इसमें हमें ब्रह्म अर्थात ईश्वर व उसकी शक्तियों के विषय में जानकारी मिलती है। केनोपनिषद हमें बताता है कि हमारी जो इन्द्रियां हैं ये जिन भौतिक शक्तियों पर अभिमान करके भ्रमित होती रहती हैं, उन भौतिक शक्तियों को चलाने वाला परब्रह्म ही है।
3) कठोपनिषद
यम और नचिकेता की सुप्रसिद्ध कथा कठोपनिषद में मिलती है, जिसमें नचिकेता एक अध्यात्मवादी है। उसके मन में ब्रह्म, आत्मा आदि से सम्बंधित बहुत सारे प्रश्न उठते हैं और उस ब्रह्मविद्या और आत्मविद्या को पाने के लिए वह आचार्य यम के गुरुकुल में जाता है। परन्तु ऋषि ज्ञान देने से पहले उसकी परीक्षा लेते हैं कि वह इस ज्ञान के लिए पात्र भी है या नहीं।
परीक्षा लेने के लिए यम नचिकेता को भौतिक सम्पदाओं का लालच देते हैं, परन्तु नचिकेता अपनी बात पर दृढ़ रहा। तब उसके दृढ़ संकल्प को देखकर आचार्य यम ने उसे आत्मा की शांति और सुख का उपाय ब्रह्मविद्या आदि ज्ञान उसे प्रदान किया।
4) प्रश्नोपनिषद
उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai) इस सूची में अगला उपनिषद है प्रश्नोपनिषद, जिसमें सुकेशा, सत्यकाम, सौर्यायणि गार्ग्य, आश्वलायन, भार्गव और कबंधी ये 6 ऋषि ब्रह्म को जानने को उत्सुक होते हैं और पिप्पलाद ऋषि के पास अपने प्रश्नों को लेकर जाते हैं। उनके जो 6 प्रश्न हैं उनका उत्तर किस प्रकार से पिप्पलाद ऋषि ने दिया है, उससे हमें ब्रह्म ज्ञान देने का प्रयास इस उपनिषद में किया गया है।
5) मुण्डकोपनिषद
मुण्डकोपनिषद् के 3 मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के 2 – 2 खंड है। इसमें हमें ब्रह्म विद्या, यज्ञ, हवन के आध्यात्मिक और भौतिक लाभ और सृष्टि क्रम आदि भौतिक और आध्यात्मिक विषय हैं, दोनों का ही ज्ञान यहाँ दिया गया है। भारत का राष्ट्रीय वाक्य “सत्यमेव जयते” भी मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।
6) मांडूक्योपनिषद
उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai) इस सूची में अगला उपनिषद है मांडूक्योपनिषद, इसमें केवल 12 ही श्लोक हैं और उन 12 श्लोक में केवल ॐ की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इसीलिए इसको ॐ उपनिषद भी कहते हैं।
7) ऐतरेय उपनिषद
ऐतरेय उपनिषद में विशेष रूप से सृष्टि की रचना आदि के विषय में बात की गयी है, जो व्यक्ति सृष्टि की रचना, इसके गर्भ आदि को जानने को उत्सुक हैं, उन्हें ये उपनिषद अवश्य पढ़ना चाहिए।
8) तैत्तिरीय उपनिषद
उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai) इस सूची में अगला उपनिषद है तैत्तिरीय उपनिषद, इसमें भूर, भुवः, स्वः, इन तीनों का निर्वचन किया गया है, साथ ही धार्मिक विधि विधानों के विषय में भी बहुत सारे उपदेश यहाँ दिए गए हैं।
9) छान्दोग्य उपनिषद
छान्दोग्य उपनिषद बृहदारण्यक के बाद सबसे बड़ा उपनिषद है। इसमें ओमकार, उद्गीत, साम, मधु नाड़ी आदि के विषय में उपदेश दिया गया है तथा इसी में सत्यकाम और जाबालि की प्रसिद्ध कथा भी मिलती है। इसमें श्वेतकेतु और अश्वपति कैकयी राजाओं की कथा का भी वर्णन है।
छान्दोग्य में उद्दालक आरुणि और श्वेतकेतु की कथा के माध्यम से भी ब्रह्मज्ञान दिया गया है। इसी में नारद जी का सनत कुमार से नाम, वाक्, मन, संकल्प, चित्त, ध्यान, बल, अन्न, ब्रह्म आदि बहुत सारे विषयों का ज्ञान प्राप्त करने का भी वर्णन है। इसके साथ ही इसमें इंद्र और विरोचन की सुप्रसिद्ध कथा भी है।
10) बृहदारण्यक उपनिषद
बृहदारण्यक उपनिषद में प्रारम्भ में हम देखते हैं कि सृष्टि और उसको रचने वाले परमपिता परमात्मा के विषय में बताया गया है। उसके बाद गार्ग्य बालाकि की कथा का वर्णन है, इसके अनुसार गार्ग्य बालाकि नामक बालक को अपने ज्ञानी होने का अभिमान हो गया था तथा वह काशिराज अजातशत्रु को ज्ञान देने चल पड़ा, लेकिन अंत में वह काशिराज से ब्रह्मज्ञान लेकर लौटा।
इसके तीसरे अध्याय में राजा जनक के यज्ञ में 9 ब्राह्मणों और याज्ञवल्क्य ऋषि के शास्त्रार्थ की चर्चा मिलती है। एक अन्य अध्याय में याज्ञवल्क्य का उनकी पत्नी मैत्रेयी को ब्रह्मज्ञान की शिक्षा देने की कथा का रुचिकर वर्णन मिलता है। बृहदारण्यक उपनिषद में ब्रह्म, वेद, गायत्री सभी की व्याख्या की गयी है।
11) श्वेताश्वतर उपनिषद
उपनिषद क्या है (Upnishad kya hai) इस सूची में अंतिम नाम है श्वेताश्वतर उपनिषद का, छह अध्याय वाले इस उपनिषद में मुख्यतः ईश्वर प्राप्ति के उपाय, ध्यान, ब्रह्म की महिमा, वेदांत, सांख्य, योग आदि का वर्णन मिलता है।
Frequently Asked Questions
Question 1: सबसे बड़ा उपनिषद कौन सा है?
सबसे बड़ा उपनिषद् बृहदारण्यक उपनिषद् है, इस उपनिषद में ब्रह्म, वेद, गायत्री सभी की व्याख्या की गयी है।
Question 2: मुख्य उपनिषद कितने हैं?
वैसे तो उपनिषदों की संख्या 108 मानी जाती है, परन्तु उनमें से 11 उपनिषद ही प्रमुख हैं, जो प्रामाणिक माने जाते हैं।
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