शिव तांडव स्तोत्रम हज़ारों साल पहले रावण द्वारा लिखा गया था इसलिए इसे Ravan rachit Shiv Tandav Stotram भी कहते है। रावण एक कुख्यात व्यक्ति था रामायण में, परन्तु बहुत कम लोगों को पता है कि वह भगवान शिव का उत्कट भक्त भी था। इसी कारणवश उसने यह स्तोत्रम लिखा था इस लेख में हम Shiv Tandav Stotram Lyrics के बारे में जानेंगे।
यह भजन रावण द्वारा ही भगवान शिव की प्रशंसा हेतु गाया गया था। शिव तांडव स्तोत्रम, भगवान शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य का प्रतीक है और ऐसा माना जाता है इसको पढ़ने से सारी बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है।
Shiv Tandav Stotram Lyrics (शिव तांडव स्तोत्र)
रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र (Ravan Rachit Shiv Tandav Stotram) में 15 कवितायेँ हैं , जो कि भगवान शिव की अपरम्पार महिमा का वर्णन करती हैं। ऐसा माना जाता है कि जब रावण ने यह स्तोत्र भगवान शिव के लिए गाया था, तब वे इस गीत में मग्न हो गए थे और बहुत ज़्यादा प्रसन्न हुए थे।
उसके पश्चात उन्होंने रावण को यह वरदान दिया था कि वह अक्षय शक्तियों की प्राप्ति कर सकता है।
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चलिए मित्रों अब हम शिव तांडव स्तोत्रम का पाठ करते हैं और अपने आसपास की सारी बुरी शक्तियों का नाश करते हैं।
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥
अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥
इति श्रीरावण कृतम्
शिव ताण्डव स्तोत्रम्स म्पूर्णम्
Shiv Tandav Stotram Download PDF (शिव तांडव स्तोत्रम PDF)
इस शिव तांडव स्तोत्र का सही तरीके से उच्चारण करना बहुत ज़्यादा आवश्यक है। अधिकतर लोग इसका पाठ बिना अर्थ समझे करते हैं। इसीलिए हम आपके लिए शिव तांडव स्तोत्र का PDF लाये हैं जिसकी सहायता से आप स्तोत्र को प्रतिदिन पढ़ सकते हैं।
नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करके आप Shiv Tandav Stotram Download कर सकते हैं।
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Shiv Stotram Benefits (शिव तांडव स्तोत्र के फायदे)
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से अनगिनत फायदे (Shiv Tandav Stotram Benefits) होते हैं। प्रतिदिन भगवान शिव का स्मरण करके आपको अत्यंत शक्ति, सुंदरता और मनोबल की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का जाप करने से आपका वातावरण पवित्र बन जाता है और सारी बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है।
इसके साथ ही यदि आप निम्नलिखित समय के अनुसार शिव तांडव स्तोत्र का जाप करते हैं, तो आपको विश्व सिद्धि और मन की शान्ति की प्राप्ति होगी।
- ग्रहण का समय
- भोर या सांझ के समय
- प्रदोष व्रत के दिन
हम आशा करते हैं की आपको हमारा लेख पसंद आया होगा, और अब आप शिव तांडव स्त्रोत के पीडीऍफ़ के माध्यम से इसका प्रतिदिन अध्ययन कर पाएंगे ताकि शिव जी की हम सब पर कृपा बनी रहे।
ॐ नमः शिवाय।।
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