क्या आप जानते हैं शिक्षा क्या है (shiksha kya hai)? अगर नहीं तो हमारी पोस्ट पढ़ने के बाद आप जान जाएँगे कि शिक्षा क्या है (shiksha kya hai)।
शिक्षा हर व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है। ये वो आधार है जो व्यक्ति को जीवन को सही तरीके से जीने की राह पर ले जाता है। शिक्षा सिर्फ स्कूल में ही नही बल्कि घर पर परिवार से, टीवी, समाचार पत्र, अनुभव आदि से मिलती है। शिक्षा कई तरह की होती है और ये कई साधनों से मिलती है। शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है ये इस बात से पता चलता है कि श्री राम और अन्य देवताओं ने जिसने धरती पर जन्म लिया उन्होंने भी गुरुकुल में अपने गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की। आज के इस पोस्ट में हम आपको शिक्षा क्या है (shiksha kya hai), शिक्षा के क्या प्रकार है और शिक्षा के कौन शत्रु हैं वो सब बताएँगे।
शिक्षा क्या है? शिक्षा का अर्थ क्या है? (Shiksha Kya Hai)
शिक्षा क्या है (shiksha kya hai) जानने से पहले ये जाने की शिक्षा शब्द किस तरह बना है।
शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द “शिक्ष्” धातु और प्रत्यय “अ” से हुई है। शिक्षा का अर्थ है स्वयं सीखना और दूसरों को सीखाना। वो सब शिक्षा है जो व्यक्ति नया सीखता है चाहे वो स्कूल से सीखें या अपने अनुभव से। शिक्षा मनुष्य को सिर्फ स्कूल से नहीं बल्कि घर और अपने आस पास के वातावरण से भी मिलती है।
अंग्रेजी में शिक्षा का अर्थ है एजुकेशन। अंग्रेजी में ये शब्द लैटिन शब्द “educatum” से बना है। मनुष्य हमेशा ही सीखता रहता है और ये शिक्षा बचपन से लेकर जीवन के अंतिम छोर तक चलती है। हमारे देश के महान व्यक्तित्व के धनी महापुरषों ने भी शिक्षा को परिभाषित किया है।
अरविदं के अनुसार शिक्षा क्या है? (shiksha kya hai)
उनके अनुसार शिक्षा का अर्थ है, मनुष्य के भीतर की शक्तियों का विकास।
शिक्षा क्या है (shiksha kya hai) का सही जवाब है कि शिक्षा वो ज्ञान है जिससे व्यक्ति का बाहरी और आंतरिक दोनों तरफ से विकास होता है। शिक्षा से व्यक्ति की क्षमता और कुशलता बढ़ती है। शिक्षा ही आज की बच्चों को के भविष्य और देश के भविष्य का निर्माण करती है। शिक्षा से बच्चों का मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास होता है। शिक्षा वो साधन है जो एक व्यक्ति के अंदर छिपी क्षमता को बाहर लाने में मदद करती है।
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शिक्षा के प्रकार (Shiksha Ke Prakar)
आपने जाना कि शिक्षा क्या है (shiksha kya hai) और अब जानेंगे की शिक्षा के प्रकार कितने हैं?
1) औपचारिक शिक्षा/नियमित शिक्षा
नियमित शिक्षा वो शिक्षा होती है जो नियमित रूप से बच्चों को विचारपूर्वक और जानबूझकर दी जाती है। इस शिक्षा को प्राप्त करने के लिए बच्चे और बच्चे के माता पिता पहले से तैयार होते है। उन्हें नियमित रूप से नियमित समय में और नियमित जगह पर शिक्षा दी जाती है। ये ज्ञान उनको शिक्षण संस्थानों में दी जाती है जैसे स्कूल, कोचिंग इंस्टिट्यूट, चर्च आदि। ये शिक्षा शुरू होती है बच्चों के तीन से चार साल की उम्र से और कॉलेज ख़त्म होने पर समाप्त हो जाती है। इस तरह की शिक्षा को चेतन शिक्षा के नाम से भी जाना जाता है।
2) अनौपचारिक शिक्षा/ अनियमित शिक्षा/ सहज शिक्षा
अनौपचारिक शिक्षा वो शिक्षा है जो स्वतः ही मिलती है। हिन्दू धर्म के अनुसार ये शिक्षा तब से शुरू होती है जब से वो बच्चा माँ के गर्भ में होता है। इसी कारण हिन्दू धर्म ग्रंथो में लिखित हैं कि गर्भवती स्त्री को अच्छी अच्छी बुक पढ़नी चाहिए। अच्छे बातों पर विचार करना चाहिए, अच्छा सोचना चाहिए और हमेशा खुश रहना चाहिए ताकि यही सब संस्कार गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंचे।
इस प्रकार की शिक्षा का महाभारत में वर्णन है जिसमें बताया गया है कि कैसे माँ के गर्भ में ही अभिमन्यु चक्रव्यूह को भेदना सीख गए थे। इस तरह की शिक्षा के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं होता है और न ही कोई निश्चित समय। इस शिक्षा को पाने के कोई नियम भी नहीं होते हैं। अचेतन रूप से ये शिक्षा प्राप्त होती है और ये शिक्षा हमेशा ही मिलती रहती है। ये शिक्षा किसी न किसी रूप में व्यक्ति को मिलती रहती है। ये शिक्षा उनको घर, समाज, न्यूज़ पेपर, टीवी, रेडियो, खेल कूद, ग्रुप आदि में मिलती है।
3) प्रत्यक्ष शिक्षा
प्रत्यक्ष शिक्षा वो शिक्षा है जो बच्चे को अपने अध्यापक से मिलती है। इसमें अध्यापक बचे के अपने ज्ञान और अपने उपदेशों से बच्चे के व्यक्तित्व को निखारता है और उसे भविष्य के लिए तैयार करता है। ये शिक्षा उसे प्रत्यक्ष मिलती है।
4) अप्रत्यक्ष शिक्षा
अप्रत्यक्ष शिक्षा वो शिक्षा है जो योजनाबद्ध तरीके से नहीं दी जाती है। ये शिक्षा स्वतंत्र वातावरण में दी जाती है और इस तरह की शिक्षा देने के लिए शिक्षक के पास कोई प्रत्यक्ष साधन नहीं होते हैं। वो अप्रत्यक्ष साधनों से छात्रों को सीखने में मदद करते है। उन्हें अपनी इच्छानुसार आगे बढ़ने दिया जाता है।
ये शिक्षा वो अपने आस पास के वातावरण से प्राप्त करता है इसलिए कहा जाता है कि जहाँ बच्चा हो वहां का माहौल और वहां का वातावरण सही और अनुकूल होना चाहिए ताकि उसका बच्चे पर अच्छा प्रभाव पढ़े और वो बढ़ो से अच्छी शिक्षा ग्रहण करें। इस तरह की शिक्षा बच्चा हमेशा याद रखता है क्योंकि वो इसे स्वयं इच्छा से अनुभव करके ग्रहण करता है। इस शिक्षा को बच्चों द्वारा अच्छी आदतें या बुरी आदतें सीखने का आधार कह सकते है।
5) सामान्य शिक्षा
सामान्य शिक्षा बेहद जरूरी है क्योंकि यह शिक्षा उसे जानवरों जैसा व्यवहार न करके इंसानों जैसा व्यवहार करना सिखाती है। ये शिक्षा सभी को मिलनी चाहिए। इससे बच्चों का विकास होता है और वो सामान्य जीवन जीने का तरीका सीखता है।
6) विशिष्ट शिक्षा
विशिष्ट शिक्षा क्या है (shiksha kya hai)?
इस प्रकार की शिक्षा एक खास उद्देश्य के लिए दी जाती है। ये शिक्षा बच्चे की इच्छा, शौक, क्षमता के आधार पर होती है ऐसा इसलिए क्योंकि जिस कार्य में रूचि होगी और मज़ा आएगा उसे बच्चा बहुत अच्छे से और मन लगाकर सीखेगा। बच्चे इसमें एक खास दिशा और क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने की और बढ़ते हैं। इस शिक्षा में बच्चों को वो सभी सुविधाएँ दी जाती है जिसे वो अपने लक्ष्य की और आगे कदम बढाता जाए। कह सकते हैं कि बच्चों का विकास करके देश का भी विकास किया जाता है क्योंकि देश को अगर कुशल और शिक्षित बच्चे मिलेंगे तो वो देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
7) व्यक्तिगत शिक्षा
व्यक्तिगत शिक्षा क्या है (shiksha kya hai)?
व्यक्तिगत शिक्षा अर्थात वो शिक्षा को एक अध्यापक से एक बच्चे को दी जाती है। ये शिक्षा बच्चों की क्षमताओं, इच्छा और आवश्यकता के आधार पर दी जाती है। इसमे बच्चे को एक अच्छा और स्वतंत्र वातावरण दिया जाता है जहाँ उसे अनुकूल ज्ञान मिले। इस तरह की शिक्षा पर आजकल बहुत ज़ोर दिया जा रहा है और इस शिक्षा को देने के लिए कई तरह के साधन और विधियाँ भी तैयार की जाती हैं।
8) सामूहिक शिक्षा
इस तरह की शिक्षा में एक अध्यापक एक साथ कई बच्चों को शिक्षित करता है। इसमें एक कक्षा में बहुत बच्चों को बैठाया जाता है और उन्हें ज्ञान दिया जाता है। इस तरह की शिक्षा में किसी एक बच्चे की रुचि, आवश्यकता या योग्यता के आधार पर शिक्षा नहीं दी जाती है। सभी को सामना रूप से सिखाने का प्रयास किया जाता है। ये शिक्षा बच्चों को स्कूल और कॉलेज में मिलती है।
9) सकारात्मक शिक्षा
सकारात्मक शिक्षा वो शिक्षा है जिसमें अध्यापक बच्चों को अपने अनुभव, अपने तर्क और अपने चिन्तन के हिसाब से शिक्षित करता है। इस तरह की शिक्षा पर पूर्णत: शिक्षक का कंट्रोल होता है।
10) नकारात्मक शिक्षा
नकारात्मक शिक्षा क्या है (shiksha kya hai)?
इस तरह की शिक्षा में बच्चा स्वयं शिक्षा प्राप्त करता है परन्तु शिक्षक उसे वो माहौल और वातावरण तैयार करके देते है, लेकिन सकारात्मक और नकारात्मक शिक्षा में समन्वय ज़रुरी है क्योंकि न पूर्णत: शिक्षक के पास कंट्रोल होना चाहिए और न ही पूर्णत: बच्चों के हाथ में क्योंकि बच्चे स्वयं गलत शिक्षा भी प्राप्त कर सकते है ऐसे में बच्चों का सही मार्गदर्शन सिर्फ शिक्षक ही कर सकते है। शिक्षक को नियन्त्रक बनकर बच्चों को अनुभव करके सीखने देने का मौका देना चाहिए।
अब तक हमने जाना शिक्षा क्या है (shiksha kya hai), शिक्षा के प्रकार क्या हैं, अब हम जानेंगे की विदुर जी अनुसार विद्या के शत्रु कौन हैं?
विदुर नीति अनुसार शिक्षा के 3 शत्रु
महर्षि वेदव्यास के पुत्र,विदुर वो बुद्धिजीवी है जिन्होंने कौरवों को युद्ध न करने की सलाह दी थी और उन्हें समझाने की कोशिश की थी कि इस युद का क्या परिणाम हो सकता है। हस्तिनापुर के महामंत्री होने के नाते वो महाराज धृतराष्ट्र से राज्य संम्बधी सभी विषयों पर चर्चा करते थे। उनकी चर्चा में विदुर जी द्वारा कही जाने वाले बातों को विदुर नीति कहते हैं। उन्होंने तीन ऐसी बुरी आदतों का ज़िक्र किया है जिसे सब विद्यार्थियों का जानना ज़रुरी है। उनके अनुसार शिक्षा के तीन शत्रु हैं-
1) जिज्ञासा न होना
कोई भी व्यक्ति जिज्ञासा होने पर ही कोई चीज अच्छे से सीख पाता है और तभी उसे वो ज्ञान ज़िदगी भर याद रहता है। जिन बच्चों में कुछ सीखने की जिज्ञासा नहीं होती है वो किसी भी विषय को रट तो सकता है लेकिन कंठस्थ नहीं कर सकता है।
2) आवश्यकता से अधिक चंचलता
चंचलता अच्छी होती है लेकिन शिक्षा के दौरान चंचलता उसका ध्यान भटका सकती है वो शिक्षक द्वारा दिए जाने वाले ज्ञान को आधा अधूरा ही समझ पाता है और आधा अधूरा ज्ञान उसे भविष्य के लिए तैयार नहीं कर सकता है। कुछ भी सीखने के लिए एकाग्र होकर सीखना बहुत जरूरी है।
3) अहंकार
विद्यार्थी तभी शिक्षक से विद्या ग्रहण कर सकता है जब वो अहंकार न करे। अपने पैसो या अपने आप को होशियार समझने का अहंकार उन्हें कुछ भी नया सीखने नहीं देगा। अहंकार शिक्षक के ज्ञान को उस तक नहीं पहुँचने देगा।
आपके लिए शिक्षा क्या है (shiksha kya hai), हमें कमेंट करके बताएं।
Frequently Asked Questions
Question 1: शिक्षा क्या है? (Shiksha Kya Hai)
शिक्षा का अर्थ है स्वयं सीखना और दूसरों को सीखाना। वो सब शिक्षा है जो व्यक्ति नया सीखता है चाहे वो स्कूल से सीखें या अपने अनुभव से।
Question 2: टैगोर के अनुसार शिक्षा क्या है? (shiksha kya hai)
उनके अनुसार शिक्षा का अर्थ है, दिमाग को इतना योग्य और कुशल बनाना की वो सच को पहचान सके और उसे अभिव्यक्त भी कर सके।
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