पौराणिक कथा की मुताबिक हनुमान जी का जन्म चित्र पूर्णिमा में मंगलवार के दिन हुआ था। उनके भक्तजन उनको अधिकतर बार पवनपुत्र हनुमान भी बुलाते हैं। परन्तु जब भी हनुमान जी की पूजा आराधना का विवरण होता है, तो हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa), बजरंग बाण (Bajrang Baan) और संकट मोचन हनुमान अष्टक (Sankat Mochan Hanuman Ashtak) का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
और इसीलिए हम पावन की तरफ से आज आपके लिए संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ के बारे में बात करेंगे ताकि बजरंग बलि आपके सारे दुःख और कष्टों का नाश कर दें।
Click here 👉 हनुमान अष्टक PDF हिंदी में डाउनलोड करे
Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi
संकट मोचन हनुमान अष्टक (Sankat Mochan Hanuman Ashtak) को श्री गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था। माना जाता है कि हनुमान अष्टक का पाठ करने के बाद किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में बाधा और पीड़ा का सामना नहीं करना पड़ता।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak in Hindi
बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो ॥
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ॥
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो ॥
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥
बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो ॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ॥
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥
काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो ॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF Download
Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics पढ़ने के बाद यदि आपको यह पूरा संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ PDF format में चाहिए, तो इस लिंक पर क्लिक करके आप पूरी PDF हिंदी में download कर सकते हैं।
Click here 👉 हनुमान अष्टक PDF हिंदी में डाउनलोड करे
Hanuman Ashtak Benefits (हनुमान अष्टक पाठ के फायदे)
जो भी भक्त संकट मोचन हनुमान अष्टक का पूरा जाप करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसको सुख शान्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। हनुमान जी के सच्चे भक्त कभी भी कष्ट में नहीं रहते एवं नियमित रूप से उनकी आराधना करने के फल भी अवश्य पाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि अगर जीवन में कभी भी आपको बहुत बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो आप प्रतिदिन 7 बार हनुमान अष्टक का जाप कर सकते हैं और मात्र 21 दिन में ही आपको लाभ मिलने शुरू हो जायेंगे। इसके अलावा आपको अपने आत्मविश्वास में भी बहुत बढ़ोतरी मिलेगी।
इसके साथ ही एक बहुत प्रसिद्ध कहानी है, कि अष्ट सिद्धि और नव निधियों के दाता हनुमान जी अपने बचपन में बहुत ही शरारती थे। उन्हें बचपन में श्राप मिला था की वह अपनी सारी शक्तियों को भूल जाएंगे, और उन्हें वो तभी याद आएँगी जब कोई दूसरा उन्हें याद कराएगा। अतः संकटमोचन हनुमान अष्टक के माध्यम से हम सभी भक्तजन हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण करने में सहायता करते हैं, और वे हमारे सारे कष्ट हर लेते हैं।
हम आशा करते हैं कि आपको यह article अच्छा लगा होगा और इसके माध्यम से आपको sankat mochan hanuman ashtak lyrics कि भी सम्पूर्ण प्राप्ति हुई होगी। हम आपसे जल्द ही फिर मिलेंगे, धन्यवाद।
आपको यह भी पसंद आएगा:
Hanuman Chalisa in Hindi PDF Download, Lyrics & Benefits
माँ दुर्गा के 9 रूप और हर रूप का महत्व एवं मंत्र