रामायण कितने प्रकार की है? भगवान राम भारत के एक आदर्श पुरुष माने जाते हैं, यही कारण है कि उनके जीवन चरित्र को विभिन्न भाषाओं में अलग अलग काल में लिखा गया। कहा भी जाता है – “नाना भाँति राम अवतारा। रामायण सत कोटि अपारा।।” भगवान राम के जीवन चरित्र पर पहला महाकाव्य महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया रामायण है। परन्तु क्या यह एक मात्रा रामायण है? इतिहासकारों के अनुसार, विश्व में लगभग 300 से अधिक रामायण के प्रकार उपलब्ध है जिनमें से कुछ ज्यादा प्रचलित है। आइये, आज हम जानते हैं कि भगवान राम के जीवन पर आधारित रामायण कितने प्रकार की है (Ramayan kitne prakar ki hai).
रामायण की कथा सदियों से प्रचलित रही है। भगवान शंकर अपनी अर्धांगिनी आदि शक्ति माता पार्वती को बार बार रामकथा सुनाया करते थे। वे कभी श्रीराम चरित्र के बारे में बताते तो कभी श्रीराम द्वारा किये गए कार्यों का उदहारण दिया करते थे। बाद में महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की, जो कि भगवान श्रीराम के समकालीन थे। यही कारण है कि श्रीराम के जीवन पर आधारित वाल्मीकि रामायण को ही सबसे सटीक माना जाता है तथा वाल्मीकि रामायण को ही आधार मानकर अलग अलग समय अलग अलग भाषाओं में कई रामायणों का निर्माण किया गया।
जिन भी विद्वानों ने अपने-अपने काल में रामायण लिखी, उसमें उन्होंने उस काल की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर श्रीराम द्वारा किये गए कार्यों का तात्पर्य समझाया। श्रीराम का जन्म से लेकर परलोकगमन तक का पूरा जीवनकाल आदर्श शिक्षाओं से भरा हुआ है तथा इन शिक्षाओं को अपनाकर कोई भी व्यक्ति एक आदर्श जीवन जी सकता है।
अगर आप विचार कर रहे है की रामायण कितने प्रकार की है तो आप सही जगह पर हैं। आइये हम 5 प्रमुख रामायण के बारे में संक्षेप में जानते हैं।
रामायण कितने प्रकार की है? How many types of Ramayana exist?
रामायण की रचना का प्रारम्भ महर्षि वाल्मीकि से होता है तथा इसे आधार मानकर बाद के वर्षों में कई रामायण लिखी गयी। ऐसा कहा जाता है कि पुरे विश्व में 300 से ज्यादा रामकथाएं मिलती हैं। आइये जानते हैं कि रामायण कितने प्रकार की है (types of Ramayana) और उनमें से सबसे प्रचलित 5 रामायण।
1) वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana)
जब भी रामायण कितने प्रकार की है (types of Ramayana) विषय पर चर्चा होती है, उसमें सबसे पहला नाम आता है वाल्मीकि रामायण का। वाल्मीकि रामायण को विश्व का पहला काव्य माना जाता है तथा इसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने त्रेतायुग में की थी। इसके बारे में कथा है कि एक बार देवर्षि नारद से वाल्मीकि जी ने प्रश्न किया था कि “संसार में ऐसे कौन है जो गुणवान, वीर्यवान, धर्मज्ञ पुरुष हैं जिन्हें आचार-विचार एवं पराक्रम में आदर्श माना जा सकता है?” इस प्रश्न के उत्तर में नारद जी ने भगवान श्रीराम को गुणवान और आदर्श पुरुष बताया।
वाल्मीकि रामायण में 24000 श्लोक तथा 6 काण्ड हैं, जो इस प्रकार हैं : बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकांड और लंकाकाण्ड। ऐसा कहा जाता है कि उत्तरकाण्ड मूल वाल्मीकि रामायण का भाग नहीं है, इसे बाद में जोड़ा गया है।
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2) कंब रामायण (Kamba Ramayana)
रामायण कितने प्रकार की है (Ramayan kitne prakar ki hai), इसमें दूसरी रामायण है रामावतारम् या कंब रामायण। कंब रामायण की रचना चोल सम्राट कुलोतुंग द्वितीय के दरबारी कवि कंबन ने की थी, जिन्हें कविचक्रवर्ती की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
कंब रामायण तमिल साहित्य का सबसे बड़ा ग्रन्थ है, इसमें 10,000 पद्य तथा 6 कांड हैं। यह रामायण श्रीराम के राज्याभिषेक पर समाप्त हो जाती है तथा इसे रामावताराम भी कहते हैं।
3) अध्यात्म रामायण (Adhyatma Ramayana)
रामायण कितने प्रकार की है (Ramayan kitne prakar ki hai), इसमें तीसरा स्थान है अध्यात्म रामायण का। अध्यात्म रामायण को भगवान शंकर ने माता पार्वती को सुनाया था, जिसे एक कौवे ने भी सुना था। इस पक्षी का पुनर्जन्म काकभुशुण्डि के रूप में हुआ था, बाद में काकभुशुण्डि ने यह कथा गरुड़ जी को सुनाई थी। अध्यात्म रामायण को ही विश्व की सर्वप्रथम रामायण माना जाता है, जिसमें 4200 श्लोक हैं।
4) आनंद रामायण (Ananda Ramayana)
रामायण कितने प्रकार की है (types of Ramayana), इसमें चौथी रामायण है आनंद रामायण। वाल्मीकि रामायण की भांति ही आनंद रामायण की रचना भी महर्षि वाल्मीकि जी ने ही की थी। इस रामायण में 9 कांड और 12,242 श्लोक हैं।
5) श्रीरामचरितमानस
रामायण कितने प्रकार की है (types of Ramayan), इसमें पांचवी एवं अंतिम रामायण है श्रीरामचरितमानस। श्रीरामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने पंद्रहवीं शताब्दी में अवधि भाषा में की थी। इसमें 9388 चौपाइयां, 1172 दोहे, 87 सोठे, 47 श्लोक और 208 छंद हैं जिसकी संख्या कुल मिलाकर 10,902 है। पुरे भारत में वाल्मीकि रामायण के बाद में इसी का स्थान आता है तथा इसे घर घर में पूजा जाता है।
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वाल्मीकि रामायण और अन्य रामायणों में जो अंतर देखने को मिलता है, वह इसलिए है क्योंकि वाल्मीकि रामायण को तथ्यों और घटनाओं के आधार पर लिखा गया था जबकि अन्य रामायणों को श्रुति के आधार पर लिखा गया था। रामायण के कितने ही प्रकार (versions of Ramayana) क्यों ना प्रचलित हों, परन्तु सभी प्रकारों में भगवान राम के जीवन को एक आदर्श रूप में ही दिखाया गया है।
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