रामायण वो पवित्र ग्रन्थ है जिसमें पूजनीय श्री राम के जीवन का पूरा वर्णन है। रामायण में उनके जन्म से लेकर सीता माता के धरती में समाने तक के उनके सफ़र का सजीव चित्रण है। रामायण में श्री राम के जीवन जीने के तरीके, उनके आदर्श और प्रेम आज भी मनुष्य जाति को प्रेरित करते है। आपने कई लोगों से सुना होगा कि बनना है तो श्री राम जैसा बनो, उनके जैसे आज्ञाकारी बनो, उनकी तरह मर्यादापुर्शोतम बनो। श्री राम के नाम का स्मरण करो और जीवन में चल रहे उथल पुथल से बचो। श्री राम का स्मरण कर अपने इस जन्म के साथ साथ आने वाले सभी जन्मो को सुधार लो। इस लेख में हम इसी रामायण के प्रमुख दोहों (Ramayan ke dohe) के बारे में जानेंगे और साथ ही यह भी जानेंगे की क्या शिक्षा देती है ये मनुष्य जीवन के लिए।
आइये जानते है विस्तार में।
रामायण के दोहे क्या है?
विकिपीडिया के अनुसार, दोहा, मातृका मीटर में रचित कविता में स्व-निहित तुकबंदी का एक रूप है। कविता की यह शैली पहले अपभ्रंश में आम हो गई और आमतौर पर हिंदुस्तानी भाषा की कविता में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
Ramayan ke dohe में तुलसी दास जी ने मनुष्य जाति को श्री राम के जीवन और उनके आदर्शो से प्रेरित होने के लिए कहा है और साथ ही यह भी कहा है कि कलयुग में सिर्फ श्री राम का नाम ही व्यक्ति का एक मात्र सहारा है। Ramayan ke dohe व्यक्ति को अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करते है और अगर वो इन रामायण के दोहों में लिखे हर सच को, हर उपाय को जीवन में उतार ले तो सभी दुखो से छूटकर सुख को प्राप्त करेगा और जीवन मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त कर लेगा।
इन दोहों को रामचरितमानस के दोहे (Ramcharitmanas ke dohe) भी कहा जाता है।
महत्वपूर्ण एवं प्रभावी Ramayan ke Dohe
यह है 10 सबसे प्रमुख और शक्तिशाली रामायण के दोहे हिंदी में। इन रामायण दोहों से लाभ पाने के लिए हमने इनका अर्थ भी साथ में दिया है जिससे की आप रामायण में वर्णित इस असीम ज्ञान को समझ पाएं।
Ramayan Doha 1
नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून।
अंक गए कछु हाथ नहिं अंक रहे दस गून।।
अर्थ – तुलसी दास जी इस दोहे में श्री राम के नाम की महिमा का बखान कर रहे हैं। वो उनकी महीने के गुण गाते हुए कह रहे हैं कि समस्त विश्व अगर कोई अंक है वो श्री रामचंद्र जी है। उनके अलावा सभी शून्य है। जैसा सभी को ज्ञात है कि अंक के बिना कुछ भी नही मिल सकता और अगर शून्य के आगे कोई अंक जोड़ दिया जाए तो शून्य कई गुना बढ़ जाता है।
जैसे शून्य के आगे 1 लगाने पर वो कुछ नही से दस गुना हो जाता है। तुलसीदास जी कहना चाहते हैं कि श्री राम का नाम अगर कोई जपेगा तो उसको 10 गुना ज्यादा लाभ मिलेगा। श्री राम का नाम ही उनके कल्याण के लिए काफी है। Ramayan ke dohe व्यक्ति के जीवन को कल्याणकारी बनाने में मदद करते है।
Ramayan Doha 2
नाम राम को कल्पतरु कलि कल्याण निवासु।
जो सुमिरत भयो माँग तें तुलसी तुलसीदासु।।
अर्थ – तुलसीदास जी इस दोहे के जरिए ये समझा रहे हैं वर्तमान में चल रहे कलयुग में श्री राम वो कल्पवृक्ष हैं जो व्यक्ति को उनके मनवांछित फल देगा। श्री राम का नाम परम सुखदाई और कल्याणकारी है। श्री राम की सुमिरन भाग जैसी नशीली चीज को भी तुलसी में बदल देता है। राम नाम लेने से व्यक्ति लोभ, मोह, काम और क्रोध जैसे विकारो से छुटकर ईश्वर के करीब हो जाते हैं, उनके प्रिय बन जाते है। Ramayan ke dohe व्यक्ति को श्री राम के करीब ले आएगे।
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Ramayan Doha 3
राम नाम जपि जीहँ जन भए सुकृत सुखसालि।
तुलसी इहाँ जो आलसी गयो आज की कालि।।
अर्थ – इस दोहे में तुलसीदास जी कह रहे हैं कि जिस व्यक्ति की जिव्हा पर हर समय श्री राम जी का नाम रहता है वो व्यक्ति सभी दुखो से मुक्त हो जाता है और उसका जीवन सुखमय हो जाता है। लेकिन जो व्यक्ति आलस के कारण श्री राम के नाम के स्मरण से विमुख होते हैं उनका आज और आने वाला कल दोनों ही नष्ट हो जाते हैं। यानि वर्तमान में और भविष्य में उनका जीवन कल्याणकारी नही होगा।
Ramayan Doha 4
राम नाम सुमिरत सुजस भाजन भए कुजाति।
कुतरुक सुरपुर राजमग लहत भुवन बिख्यति।।
अर्थ – तुलसी दास जी कह रहे हैं कि श्री राम का नाम इतना कल्याण कारी है कि दुष्ट और नीच लोग भी अगर उनका स्मरण करे उनमें भी सद्गुण आ जाते हैं और वो यश के पात्र बन जाते है। वो ये भी कहते हैं कि स्वर्ग के रास्ते में जो भी बुरे व्रक्ष हैं वो भी तीनों लोगों में प्रसिद्धि और ख्याति पाते हैं। अगर व्यक्ति बुरे कर्मों में लीन व्यक्ति भी अगर श्री राम का स्मरण करने लगे तो उसमें भी सद्गुण और दया भाव आ जाएगा और वो सदाचार के मार्ग पर चलने लगेगा।
Ramayan Doha 5
मोर मोर सब कहं कहसि तू को कहू निज नाम।
कै चुप साधहि सुनि समुझि कै तुलसी जपु राम।।
अर्थ – तुलसीदास जी इस दोहे से समझा रहे हैं कि व्यकित हमेशा मेरा मेरा कहता है लेकिन क्या वो जानता है कि वो स्वयं कौन है? उसका नाम क्या है? वो कहते हैं ये जीव, तू राम और रूप के रहस्य को सुन और चुप हो जाओ यानी मेरा मेरा कहंता बंद करो और राम नाम का स्मरण करना शुरू करो। मेरा मेरा कहने से व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है। व्यक्ति को अपना स्वार्थ छोडकर श्री राम का नाम जपना चाहिए। Ramayan ke dohe में बताया गया ये विचार अगर व्यक्ति अपना ले तो उसका जीवन सुधर जाएगा।
Ramayan Doha 6
राम नाम अवलंब बिन परमारथ की आस।
बरषत बारिद बूंद गहि चाहत चढ़न अकास।।
अर्थ – तुलसीदास जी इस Ramayan ke dohe में कह रहे हैं कि ये मनुष्य तुम श्री राम का सिमरन करे बिना अगर मोक्ष पाना चाहते हो तो ऐसा नही हो सकता। उनके नाम के बिना ये सभव नही। श्री राम के सिमरन के बिना मोक्ष पानी इच्छा तो वो वही बात हुई कि मनुष्य बरसात की बूंदों को पकडकर आसमान पर चढ़ने की कोशिश कर रहा है। राम नाम के बिना व्यक्ति कभी भी जीवन मृत्यु के चक्र से बच नही सकता। उसे मोक्ष पाना है तो उसे श्री राम का नाम ही दिला सकता है।
Ramayan Doha 7
बिगरी जनम अनेक की सुधरे अबहीं आजु।
होही राम को नाम जपु तुलसी तजि कुसमाजु।।
अर्थ – तुलसीदास जी इस दोहे से यह कहना चाहते हैं कि अगर व्यक्ति अपने सभी जन्मो में अपने हालात सुधारना चाहता है तो उसे अपने दिल से सभी बुरइयो और विकारो को त्यागना होगा और श्री राम का नाम जपना होगा। उन्हें अपना जीवन श्री राम के सिमरन में लगाना होगा। उन्हें उनका बन जाना होगा। Ramayan ke dohe व्यक्ति के भीतर के छुपे सभी विकारो को दूर करने में मनुष्य की मदद करते है।
Ramayan Doha 8
लंका विभीषण राज कपि पति मारुति खग मीच।
लही राम सों नाम रति चाहत तुलसी नीच।।
अर्थ – श्री राम के साथ से विभीषण को लंका मिला, सुग्रीव राजा बने, हनुमान जी को श्री राम का दास और सेवन का पद मिला और विशाल जटायु की दुर्लभ मृत्यु हुई। तुलसीदास जी श्री राम से और उनके जाप से उनका स्नेह और प्यार पाना चाहते हैं। यदि मनुष्य जीवन में सुख भोगना चाहता है तो उसे भी श्री राम के शरण में जाना चाहिए और उनका सच्चे दिन से और शुद्धता से सिमरन करना चाहिए। Ramayan ke dohe से प्रेरित होकर अगर व्यक्ति श्री राम की स्तुति करने लगे तो वो श्री राम को पा लेगा।
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Ramayan Doha 9
जल थल नभ गति अमित अति एजी जग जीवा अनेक।
तुलसी तो से दीन कहूँ राम नाम गति एक।।
अर्थ – इस दोहे में तुलसी दास जी कह रहे है कि संसार में रहे रहे हर जीव की गति अलग अलग है। कुछ जीव की गति पानी यानी जल में है, कुछ जीवो की गति धरती है और कुछ जीवो की गति आसमान में है। लेकिन तुलसी दास जी सिर्फ और सिर्फ श्री राम नाम को ही अपनी गति मानते है।
Ramayan Doha 10
राम भरोसो राम बल राम नाम विस्वास।
सुमिरत सुभ मंगल कुसल माँगत तुलसीदास।।
अर्थ – तुलसी दास जी का कहना है कि उन्हें श्री राम के नाम की महिमा पर पूर्ण भरोसा है। उन्हें उनके नाम जपने से ही उनके सभी दुखो का नाश होगा और उनके जीवन में सब कुशल मंगल होगा। अर्थात जीवन को सुखमय और कल्याणकारी बनाने के लिए श्री राम का नाम मदद करता है और जिसे सुख और शांति भोगना है उसे श्री राम का सिमरन हर वक्त करना चाहिए।
Ramayan ke dohe कलयुग में व्यक्ति के लिए वो सहारा है जो उन्हें दुःख भरे में जीवन में सुख पाने की उम्मीद देते हैं। आशा करते है की आपको tulsidas ji ke ramayan ke dohe पसंद आये होंगे।
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