कई लोगों का यह प्रश्न रहता है कि मंत्र क्या है (mantra kya hai), क्या ये मंत्र सिर्फ कुछ शब्द संयोजन हैं या इनके उच्चारण का कोई महत्व भी है। इन सभी प्रश्नों का उत्तर हम आगे जानेंगे।
मंत्र क्या है ? (Mantra Kya Hai)
हमारी संस्कृति में मंत्रों का विशेष महत्व रहा है, जब भी कोई पूजा पाठ या मांगलिक कार्य किया जाता है, तब वह मंत्रों के उच्चारण बिना संभव नहीं है। लेकिन ये मंत्र क्या है (mantra kya hai), क्या इनके पीछे कोई विज्ञान है, वास्तव में मंत्र कई प्रकार के होते हैं, कई मंत्र देवी देवताओं की स्तुति के लिए होते हैं, परन्तु इनमें सबसे महत्वपूर्ण वे मंत्र होते हैं, जिनमें कुछ ज्ञान छुपा हो। मंत्र एक शब्द का भी हो सकता है और एक वाक्य का भी हो सकता है।
मंत्र क्या है (mantra kya hai) इसको समझने के लिए हमें मंत्रों की संरचना को समझना होगा। मंत्रों की संरचना इस तरीके से की गयी है कि उनके जाप करने से मनुष्य के स्वास्थ्य तथा आसपास के वातावरण पर भी उनका प्रभाव पड़ता है। मंत्र दो शब्दों से बना है “मनस” अर्थात मन और “त्र” अर्थात यंत्र। इस प्रकार मंत्र का अर्थ होता है मंत्र का तंत्र। मननात् त्रायते इति मंत्रः अर्थात मंत्र शब्दों का ऐसा संयोजन है, जिसे बार बार दोहराने पर हम सुरक्षित होते हैं।
अब क्योंकि हमने जान लिया है की मंत्र क्या है (mantra kya hai), तो आइए आगे बढ़ें और जानें मंत्रों के पीछे का विज्ञान।
मंत्रों के पीछे का विज्ञान
मंत्र क्या है (mantra kya hai) इसका अर्थ समझने के बाद जानते हैं कि इन मंत्रों के पीछे क्या विज्ञान है। हमारे शरीर के कुछ स्तर होते हैं, जिसमें पहला है भौतिक स्तर जिसके अंतर्गत हम हमारी इन्द्रियों (आँख, नाक, कान, जीभ और त्वचा) के नियंत्रण में रहते हुए अपने कार्य करते हैं।
इसके बाद होता है मानसिक स्तर, जिसमें हम अपनी कल्पना की शक्ति से चिंतन करते हैं और अपने मन में कई तरह की भावनाओं को पालते हैं, इसके अंतर्गत गुस्सा करना, दुःखी होना, खुश होना इत्यादि आते हैं। हम आने वाली मुसीबतों को देखकर डर जाते हैं, पुरानी बातों को याद करके दुखी या खुश होते हैं। मनुष्य अधिकांशतः भौतिक और मानसिक स्तर पर ही रहता है।
इनसे ऊपर भी एक स्तर होता है, जिसे देविक स्तर कहते हैं, इसमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा की प्रमुखता होती है। अद्वैत दर्शन जिसे भारतीय दर्शनशास्त्र का मूल माना गया है, के अनुसार ब्रह्मांडीय ऊर्जा ही ब्रह्म है और इसी ऊर्जा से पूरा ब्रह्माण्ड बना हुआ है।
हमारा पूरा शरीर विद्युत चुम्बकीय तरंगों और मस्तिष्क तरंगों और बहुत सारी ऊर्जा से बना हुआ है। मंत्र क्या है (mantra kya hai) इसको हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि मंत्र एक ऐसे यंत्र की तरह काम करता है, जो हमारे शरीर की कॉस्मिक वेवलेंथ को ब्रह्माण्ड की कॉस्मिक वेवलेंथ से जोड़ने का काम करता है।
मंत्र क्या है (mantra kya hai) जानना ही काफी नई होता, मंत्र कार्य कैसे करते है ये जानना उससे भी ज्यादा ज़रूरी है। आइए जानें मंत्र कैसे कार्य करते है।
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कैसे कार्य करते हैं मंत्र?
मंत्र क्या है (mantra kya hai) तथा इसके पीछे क्या विज्ञान है, इसको समझने के बाद आइये जानते हैं कि मंत्र कैसे कार्य करते हैं। संस्कृत को एक वैज्ञानिक भाषा कहा जाता है तथा इसके उच्चारण से हमारे शरीर के विभिन्न अंगों और मस्तिष्क का विकास हो सकता है। मंत्रों की संरचना इस प्रकार से की गयी है कि ये ना सिर्फ हमें स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं, अपितु ये हमारे शरीर की विद्युत चुम्बकीय तरंगों और फ्रीक्वेंसीज़ को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ने का काम करते हैं।
यही कारण है कि कुछ मंत्र कई रोगों का निवारण भी करते हैं, जैसे महामृत्युंजय मंत्र। कुछ मंत्रों का उच्चारण और जाप करने से हमें हमारे जीवन में कई प्रभाव देखने को भी मिलते हैं। प्राचीनकाल में हमारे ऋषि मुनि इन्हीं मंत्रों के उच्चारण के कारण स्वस्थ रहते थे तथा उनकी आयु बहुत लम्बी हुआ करती थी।
मंत्रों की कार्यप्रणाली
जापान के मसारु इमोटो नाम के एक प्रसिद्ध लेखक व विशेषज्ञ हैं, वे अपने परिक्षण के द्वारा इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पानी के अणु अलग अलग ध्वनि फ्रीक्वेंसियों से प्रभावित होते हैं। जैसे एक झरने के पानी को जमा दिया जाए और उन्हें माइक्रोस्कोप से देखा जाए तो वो बहुत ही सुन्दर ज्योमेट्रिक डिज़ाइन की संरचना बनाते हैं और यदि यही परिक्षण नल के पानी पर किया जाए तो वे बहुत ही अस्त व्यस्त नजर आएंगे।
एक और वैज्ञानिक हैं लुक मोन्टैग्नीर, उन्होंने भी अपने परिक्षण में यह खोजा है कि पानी में क्षमता होती है जानकारी को याद रखने की। उसी प्रकार हमारा शरीर भी 70% पानी से बना है, तो मंत्र के रूप में सकारात्मक ध्वनि फ्रीक्वेंसी का हमारे शरीर पर और आसपास के वातावरण पर निश्चित ही प्रभाव पड़ता है। इस पुरे ब्रह्माण्ड में विभिन्न फ्रीक्वेंसीज़ में भिन्न भिन्न प्रकार की ऊर्जा बहती रहती है। ये मंत्र वो यंत्र है, जो हमारे शरीर की उलझी हुई विद्युत चुम्बकीय तरंगों और फ्रीक्वेंसीज़ को ब्रह्मांडीय तरंगों से जोड़कर हमें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं।
हम सभी जानते हैं कि यदि हम तेज आवाज में संगीत सुनेंगे, तो कांच के सामान टूट सकते हैं, ठीक उसी प्रकार मंत्रों के शब्द और उनके उच्चारण से हमारे शरीर और हमारी मानसिक परिस्थितियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब हम कोई अच्छा संगीत सुनते हैं, तो हमारा मूड अच्छा हो जाता है, ठीक उसी प्रकार मंत्र एक व्यवस्थित साउंड टेक्नोलॉजी है, जो विभिन्न उद्देश्यों के लिए विभिन्न प्रकार से डिज़ाइन किये गए हैं।
कुछ विशेष मंत्रों के लाभ (Benefits of Mantra Chanting)
हमारे धर्मग्रंथों में कुछ मंत्रों का विशेष महत्व रहा है, जिनमें से सबसे प्रमुख है ॐ और गायत्री मंत्र। आइये जानते हैं इन दोनों के बारे में :
क्यों किया जाता है ॐ का उच्चारण
ॐ को एक ब्रह्मांडीय ध्वनि माना जाता है, यह तीन अक्षरों के संयोजन से बना है “अ”, “उ” और “म”। जब हम ॐ का उच्चारण करते हैं, तब ये तीनों अक्षर मुंह के अलग अलग हिस्सों को स्पर्श कर कम्पन्न पैदा करते हैं। “अ” अक्षर हमारे गले से निकलता है, “उ” मुंह के ऊपर के हिस्से में कम्पन्न होने के कारण निकलता है तथा “म” के कारण हमारे होंठों में कम्पन्न होता है।
इस प्रकार ॐ शब्द गले से लेकर होठों तक हमारे पुरे मुंह में कम्पन्न पैदा करता है तथा इन हिस्सों से जो सेल्स दिमाग से जुड़ी होती हैं, वे दिमाग तक पहुंचकर विभिन्न प्रकार के लाभ पहुंचाती है। वैज्ञानिक प्रयोगों के आधार पर भी यह सिद्ध हो चुका है कि ॐ का जाप करने से मनुष्य का दिमाग शांत हो जाता है तथा शरीर को आराम प्राप्त होता है।
गायत्री मंत्र के फायदे
“ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”
ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र में बहुत शक्ति है। इस मंत्र में 24 बीज मंत्र है, साथ ही इस मंत्र में 3 लाइन्स हैं तथा प्रत्येक लाइन में विभिन्न ध्वनियों वाले आठ शब्द हैं। एक शोध डॉ. रामा जयसुंदरा के द्वारा किया गया था, डॉ. रामा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी धारक हैं। उन्होंने 30 स्वयंसेवियों को 10 – 10 लोगों के समूह में बाँट दिया, पहले समूह को उन्होंने अगले 9 महीनों तक प्रतिदिन 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए कहा।
दूसरे समूह को अंग्रेजी में लिखे हुए गायत्री मंत्र का उसी अवधी तक जाप करने को कहा तथा तीसरे समूह को उन्होंने कोई कार्य नहीं दिया। इसके साथ ही सभी 30 लोगों का समय समय पर दिमाग स्कैन किया गया। इन शोध के जांच में ये बात पता चली कि गायत्री मंत्र का प्रभाव दिमाग के बाएं और दाएं दोनों हिस्सों में पड़ता है।
जिस समूह ने संस्कृत में गायत्री मंत्र का जाप किया था, उनके दिमाग के दोनों हिस्सों में एक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला तथा ये प्रभाव मंत्र जाप छोड़ने के बाद भी कई दिनों तक बना रहा। अंग्रेजी में जाप करने वाले समूह में ये प्रभाव थोड़ा कम देखने को मिला। इससे हम यह समझ सकते हैं कि संस्कृत में मंत्रों को पढ़ना और उनका जाप करना कितना आवश्यक है।
पुरे लेख में मंत्र क्या है (mantra kya hai) इसको समझने के बाद हम कह सकते हैं कि हमारे शास्त्रों में जो भी मंत्र उल्लेखित हैं, वे मात्र देवी देवताओं की स्तुति का साधन मात्र नहीं है, अपितु संस्कृत भाषा में उल्लेखित इन मंत्रों का हमारे शरीर और शरीर के अंदरूनी भागों में भी असर होता है, साथ ही हमारे आसपास के वातावरण में भी मंत्रों का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
हमें आशा है की अब आप समझ गए होंगे की आखिर में मंत्र होते क्या है (mantra kya hai) और उनके पीछे का असल विज्ञान क्या है। यदि आपको इस विषय में और विस्तार में जाना हो तो आज ही पावन ऐप डाउनलोड करें और इस प्रकार के अन्य विषयों पर विस्तार से ज्ञान प्राप्त करें।
Frequently Asked Questions
Question 1: क्या है मंत्र ? (mantra kya hai)?
मंत्र दो शब्दों से बना है “मनस” अर्थात मन और “त्र” अर्थात यंत्र। इस प्रकार मंत्र का अर्थ होता है मंत्र का तंत्र।
Question 2: सरल शब्दों में कैसे कार्य करते हैं मंत्र?
मंत्रों की संरचना इस प्रकार से की गयी है कि ये ना सिर्फ हमें स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं, अपितु ये हमारे शरीर की विद्युत चुम्बकीय तरंगों और फ्रीक्वेंसीज़ को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ने का काम करते हैं।
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