हिन्दू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य की उपाधि दी गई है। इनका नाम पांच प्रमुख देवताओं में भी सम्मिलित है। ऐसी मान्यता है कि किसी भी शुभ एवं मंगल कार्य से पहले गणेश जी की पूजा शुभ मानी जाती है। साथ ही किसी भी पूजा, जप, कथा, आदि से पहले भी श्री गणपति महाराज का आवाहन अनिवार्य माना जाता है। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से उनकी पूजा अर्चना की जाती है । साथ ही उनके भक्त गण उन्हें भिन्न-भिन्न नामों से पुकारते हैं जैसे विघ्नहर्ता, प्रथम पूज्य, मंगल मूर्ति, इत्यादि, परंतु मुख्यतः गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) हैं और हर नाम का अलग महत्व है।
कहते हैं कि इन नामों को पढ़ने मात्र से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। यहाँ पर हम उन्हीं गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) के बारे में विस्तृत में जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही जानेंगे उन नामों से संबंधित मंत्र और स्रोत । तो आइये गणेश जी की भक्ति में गोता लगाते हुए उनके विभिन्न नामों की चर्चा करते हैं:
गणेश स्तोत्रम् (Ganesh Strotam)
गणेश जी को समर्पित एवं संस्कृत भाषा में लिखित सुप्रसिद्ध गणेश स्तोत्र श्री नारद पुराण से लिया गया है। मुनि श्रेष्ठ श्री नारद जी ने सर्वप्रथम इसे भगवान गजानन के वंदन में गाया था। वैसे तो गजानन महाराज के कुल 108 नाम हैं, परंतु इस स्तोत्र में शामिल गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) प्रमुख हैं। कहते हैं कि इस स्तोत्र को पढ़ने मात्र से व्यक्ति के जीवन के सभी संकटों का नाश हो जाता है। यही कारण है कि इसे संकटनाशन गणपति स्तोत्र या श्री संकटनाशन स्तोत्र नाम से बुलाया जाता है। तो आइये हम और आप मिलकर संस्कृत भाषा में श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करते हैं।
।। श्री गणेशाय नमः:।।
।।शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ।।1।।
अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो य: सुरासुरै: ।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नम: ।।2।।
गणानाम धिपश्चण्डो गजवक्त्रं त्रिलोचन: ।
प्रसन्न भव मे नित्यं वरदातर्विनायक ।।3।।
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः:
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक: ।।4 ।।
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन:।
द्वादशैतानि नामानि गणेशस्य य: पठेत् ।।5।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी विपुलम् धनम् ।
इष्टकामं तु कामार्थी धर्मार्थी मोक्षमक्षयम् ।।6।।
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा
संग्रामे संकटेश्चैव विघ्नस्तस्य न जायते ।।7।।
गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) के इस स्तोत्र की स्तुति का पाठ करने से मनुष्य को सभी प्रकार के पाप और दुखों से मुक्ति मिलती है और साथ ही धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले आपको कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखना होता है, जो इस प्रकार से हैं: प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात श्री गणेश की प्रतिमा या मूर्ति के समक्ष उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके एक स्वच्छ आसन में बैठें। उसके बाद घी का दीपक जलायें और धूप-दीप नैवेद्य, चन्दन, पुष्प, आदि से भगवान गणेश की पूजा करें। अब पूर्ण श्रद्धा से श्री गणपति बप्पा के द्वादश नाम स्तोत्र और मंत्रों का पाठ करें। इस तरह से पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करने से सारी समस्याओं का समाधान होने के साथ-साथ जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है।
अब आगे जानते हैं मुख्यतः गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam):
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गणेश जी के 12 नाम और उनका महत्व (Ganesh Ji Ke 12 Naam)
अब हम ऊपर पढ़े हुए स्तोत्र के आधार पर गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) की चर्चा करेंगे। ये 12 नाम सर्वप्रथम श्री नारद पुराण की द्वादश नामावली में उल्लेखित हुए हैं। आज हम इन सभी गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) के साथ-साथ उनका अर्थ एवं महत्व समझेंगे। तो आइये शुरू करते हैं:
1) सुमुख (Sumukh)
सुमुख गणेश जी के 12 नाम (Ganesh ji ke 12 naam) की श्रृंखला में पहला नाम है। सुमुख का अर्थ है सुन्दर मुख वाले। गणेश जी का सुमुख नाम चन्द्रमा की लालिमा लिए हुए उनके मुख की पूर्ण सुंदरता को दर्शाता है। इसी वजह से उन्हें मूर्तिकला के प्रतीक की संज्ञा भी दी गई है। उनके मुख का तेज उन्हें देखने वालों की आँखों को हमेशा भाता है। यही वजह है कि श्री गणेश जी को सुमुख नाम से भी पुकारा जाता है।
2) एकदन्त (Ekdanta)
गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) में दूसरा नाम एकदन्त है। एकदंत का अर्थ है, एक दांत वाले। गणेश जी का एकदन्त नाम इसीलिए पड़ा क्योंकि उनका एक ही दांत है और दूसरा दांत टूटा हुआ है। उनके टूटे हुए दांत के पीछे प्रचलित किंवदंतियां कुछ इस प्रकार हैं:
एक बार परशुराम भगवान शंकर से मिलने कैलाश गए थे, परन्तु गणेश जी ने अपने पिता के विश्राम का समय बताकर परशुराम को द्वार पर ही रोक लिया। परशुराम ने बहुत प्रयास किया परन्तु भगवान गणेश उन्हें रोकते रहे। तब परशुराम ने क्रोधवश गणेश जी को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ, परन्तु कोई परिणाम नहीं निकल रहा था। तब परशुराम ने भगवान भोलेनाथ के परशु से प्रहार किया। गणेश जी ने अपने पिता का आदर रखा और इस वार के फलस्वरूप उनका एक दांत टूट गया।
दूसरी कहानी ये बताती है महर्षि वेदव्यास महाभारत ग्रंथ का वाचन कर रहे थे और गणेश जी उसे लिख रहे थे, तो बीच में उनकी कलम टूट गई। वेदव्यास को बीच में रोकना असंभव था तो गणेश जी ने अपना एक दांत तोड़ कर उसका कलम के रूप में उपयोग किया ताकि ग्रन्थ पूरी हो सके।
गणेश जी का एकदंत नाम इस भावना को दर्शाता है की जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए एक लक्ष्य का होना आवश्यक है।
3) कपिल (Kapil)
गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) में अगला नाम कपिल है। कपिल का अर्थ है बादामी या भूरे रंग वाले। यह नाम गणेश भगवान के गहरे सिन्दूरी रंग का प्रतीक माना जाता है।
4) गजकर्ण (Gajkarn)
गणेश जी का अगला नाम गजकर्ण है, जिसका अर्थ है हाथी के कानों वाले। बड़े कान इस बात को दर्शाता है कि उत्तम व्यक्ति वही है जो सभी की बातों को सुनकर और उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करता है। गणेश जी पूरी दुनिया के कर्ता-धर्ता हैं और उनके बड़े कान इस बात का प्रतीक हैं कि वे अपने सभी भक्तों की मनोकामनाओं को सुनते हैं और उनकी ज़रूरतों को समझते हुए फिर निर्णय लेते हैं।
5) लम्बोदर (Lambodar)
गणेश जी का पाँचवाँ नाम लम्बोदर है। लम्बोदर नाम 2 शब्दों से मिलकर बना है, लम्बा अर्थात बड़ा और उदर अर्थात पेट, इसीलिए गणेश जी के लम्बोदर नाम का अर्थ है विशाल पेट वाले। गणेश जी का बड़ा पेट होने के पीछे कई पौराणिक कहानियाँ प्रचलित हैं। परन्तु उनका विशाल उदर इस बात का प्रतीक है कि वे हर तरह की बात और ज्ञान अपने पेट में समाहित कर लेते थे।
उन्होंने शिव जी द्वारा बजाये डमरू की आवाज़ से समस्त देवताओं का ज्ञान प्राप्त किया। शंकर जी के तांडव से उन्होंने नृत्य विद्या का अभ्यास किया एवं माता पार्वती की पायल की छनक से संगीत का ज्ञान प्राप्त किया। इन सभी ज्ञान को एक साथ रखने के लिए उन्हें विशाल उदर की आवश्यकता थी।
6) विकट (Vikat)
गणेश जी का छठा नाम विकट है, जिसका अर्थ है विपत्तियों का नाश करने वाले। श्री गणेश भगवान अपने विकट शरीर के साथ लोगों की विपत्तियों के रास्ते में आकर और उनका अंत करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। पार्वती नंदन के हाथी के मस्तक की वजह से भी उन्हें विकट नाम से पुकारा जाता है।
7) विघ्ननाशक (Vighnnashak)
गणेश जी का सातवाँ नाम विघ्ननाशक या विघ्नहर्ता है, जिसका अर्थ है विघ्नों का नाश करने वाले। श्री गणपति भगवान सच में सभी के विघ्नों, बाधाओं, विरोधों, और अड़चनों को दूर करके उनका नाश करते हैं। इसलिए किसी भी शुभ काम को करने से पहले श्री गणेश भगवान की पूजा करना शुभ माना जाता है।
8) विनायक (Vinayak)
गणेश जी के आठवें नाम विनायक का अर्थ है विशिष्ट नेता या अच्छे नेता के गुण वाले। श्री गणेश भगवान एक अच्छे नेता होने के साथ-साथ भक्ति और मुक्ति के दाता माने जाते हैं।
9) धूम्रकेतु (Dhumraketu)
गणेश जी का नौवाँ नाम धूम्रकेतु है, जिसका अर्थ है धुएँ के रंग के ध्वज वाले। श्री गणेश भगवान मनुष्य के आदि और आध्यात्मिक भौतिक मार्ग पर आने वाले सभी विघ्न बाधाओं को धूम्रकेतु के जैसे जला देते हैं। इस तरह से गणेश जी का धूम्रकेतु नाम सार्थक होता है। भगवान गणेश का यह एक महत्वपूर्ण स्वरूप है जो सभी का कल्याण करता है। इस स्वरूप में श्री गणेश सभी मनुष्यों के पापों और दोषों का नाश करते हैं।
10) गणाध्यक्ष (Ganadhyaksha)
गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) में से ग्यारहवाँ गणपति या फिर गणाध्यक्ष है। गणपति या गणाध्यक्ष नाम का अर्थ है गणों के स्वामी। गणेश जी को सभी गणों के सेनापति या अध्यक्ष की उपाधि प्राप्त है, जो उनका गणपति या गणाध्यक्ष नाम को सार्थक करता है।
11) भालचंद्र (Bhalchandra)
गणेश जी का अगला नाम भालचंद्र का अर्थ है, जिसके मस्तक पर चंद्रमा विराजमान हैं। ब्रह्मांड पुराण में वर्णन मिलता है कि एक बार श्री गणेश ने भगवान चंद्रमा को दरभी ऋषि के श्राप से मुक्ति दिलाकर उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लिया था। तब से गणेश भगवान को भालचंद्र नाम से जाना जाने लगा।
12) गजानन (Gajanan)
गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) में अंतिम और बारहवाँ नाम गजानन है। गजानन का अर्थ है, जिनका मुख हाथी के मुख जैसा हो। श्री मुद्गल पुराण के अनुसार, गणेश भगवान ने लोभासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए गजानन अवतार लिया था।
गणेश जी के 12 नाम और मंत्र (Ganesh Ji Ke 12 Naam)
अब हम गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) से संबंधित मंत्रों को पढ़ेंगे एवं उच्चारण करेंगे। इन मंत्रों को पढ़ने और जाप करने से मनुष्य का उद्धार निश्चित है।
1. | सुमुख (Sumukh) | ॐ सुमुखाय नमः (Om Sumukhaya Namah) | ॐ सुमुखाय हुं (Om Sumukhaya Hum) |
2. | एकदन्त (Ekdant) | ॐ एकदंताय नमः (Om Ekdantay Namah) | ॐ एकदंताय हुं (Om Ekdantay Hum) |
3. | कपिल (Kapil) | ॐ कपिलाय नमः (Om Kapilay Namah) | ॐ कपिलाय हुं (Om Kapilay Hum) |
4. | गजकर्ण (Gajkarn) | ॐ गजकर्णाय नमः (Om Gajkarnaay Namah) | ॐ गजकर्णाय हुं (Om Gajkarnaay Hum) |
5. | लम्बोदर (Lambodar) | ॐ लम्बोदराय नमः (Om Lambodaraya Namah) | ॐ लम्बोदराय हुं (Om Lambodaraya Hum) |
6. | विकट (Vikat) | ॐ विकटाय नमः (Om Vikataya Namah) | ॐ विकटाय हुं (Om Vikataya Hum) |
7. | विघ्ननाशक (Vighnashak) | ॐ विघ्ननाशकाय नमः (Om Vighnnashkay Namah) | ॐ विघ्ननाशकाय हुं (Om Vighnnashkay Hum) |
8. | विनायक (Vinayak) | ॐ विनायकाय नमः (Om Vinayakaya Namah) | ॐ विनायकाय हुं (Om Vinayakaya Hum) |
9. | धूम्रकेतु (Dhumraketu) | ॐ धूम्रकेतवे नमः (Om Dhumraketve Namah) | ॐ धूम्रकेतवे हुं (Om Dhumraketve Hum) |
10. | गणाध्यक्ष (Ganadhyaksh) | ॐ गणाध्यक्षाय नमः (Om Ganadhyakshaya Namah) | ॐ गणाध्यक्षाय हुं (Om Ganadhyakshaya Hum) |
11. | भालचंद्र (Bhalchandra) | ॐ भालचंद्राय नमः (Om Bhalchandraya Namah) | ॐ भालचंद्राय हुं (Om Bhalchandraya Hum) |
12. | गजानन (Gajanan) | ॐ गजाननाय नमः (Om Gajananay Namah) | ॐ गजाननाय हुं (Om Gajananay Hum) |
मित्रों ये थे गणेश जी के 12 नाम (ganesh ji ke 12 naam) और साथ गणेश स्त्रोत और मंत्र । आशा है आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा।
Frequently Asked Questions
Question: भगवान गणेश जी के 12 नाम (Ganesh ji ke 12 naam) कौन कौन से हैं?
भगवान गणेश जी के 12 नाम (Ganesh ji ke 12 naam) इस प्रकार हैं – सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्न नाशक, विनायक, धूम्र केतु, गणाध्यक्ष, भाल चंद्र, गजानन।
Question: भगवान गणेश जी के कितने नाम हैं?
पौराणिक ग्रंथों में गणेश जी के कुल 108 नाम बताए गए हैं।
Question: गणेश जी का बेटा का नाम क्या है?
मान्यता के अनुसार गणेश जी के शुभ और लाभ नाम के दो पुत्र थे।
Question: गणेश जी की बेटी का नाम क्या है?
गणेश जी की एक बेटी हैं, जिनका नाम संतोषी माता है।
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