दोस्तों दिवाली त्योहार के नाम से ही हमारे चेहरे में एक बड़ी सी मुस्कान आ जाती है। यह दुनिया भर के कई देशों में मनाये जाने वाले बड़े त्योहारों में से एक है। बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत के साथ ही यह त्योहार सद्भावना, कर्म, सत्य, और मर्यादा का भी संदेश लेकर आता है। सभी लोग लगभग महीने भर पहले से दीपावली की तैयारियां शुरू कर देते हैं। बड़े धूमधाम और उत्साह से पांच दिनों तक लोग सब कुछ भूलकर इस त्यौहार को मनाते हैं और आपस में खुशियां बांटते हैं। परन्तु क्या आपको पता है कि दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai) इसकी हर धर्म की अपनी-अपनी वजहें और परंपराएं हैं।
इस त्यौहार का सबके लिए अलग-अलग महत्व भी है। जी हाँ दोस्तों भले ही यह त्यौहार हम जात-पात और धर्म आदि सब मतभेद को भूलकर मनाते हैं, परन्तु इसे मनाने की वजहें सभी के लिए अलग-अलग हैं। आइये आज हम इस लेख के माध्यम से दिवाली के इस महत्वपूर्ण पर्व के बारे में समस्त जानकारी (diwali information in hindi) हासिल करते हैं। जानते हैं हिन्दुओं के साथ-साथ क्यों जैन, बौद्ध, सिख धर्म, और अन्य दूसरे लोगों के लिए क्या है दिवाली का महत्व। शुरू करते हैं दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai) हमारा यह लेख।
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दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai)
दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai)? इसकी कई वजहें हैं। दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों दीप अर्थात दीया और आवली अर्थात लाइन या श्रृंखला के मिश्रण से हुई है। दिवाली जिसे हम दीपावली भी बोलते हैं, इसका अर्थ है वह उत्सव जिसमे असंख्य दीप जगमगाये जाते हैं।
दिवाली को हम प्रकाश पर्व, प्रकाश उत्सव, या दीपों का त्यौहार भी बोलते हैं। इसमें दीपों के प्रकाश से अमावस्या की काली रात भी पूर्णिमा जैसी प्रतीत होती है। यह चारों और प्रकाश लेकर आता है, और यह सिर्फ हमारे आसपास ही नहीं बल्कि हमारी ज़िंदगियों में भी रौशनी लेकर आता है।
हर एक धर्म में दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai), इसकी अलग-अलग वजहें बताईं जाती हैं। दीपावली पर्व विशेषकर धन- संपत्ति और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे मानाने के पीछे यही मान्यता है कि हमारे घरों में माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी के शुभ कदम पड़ें और हमेशा खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहे। साथ ही यह त्योहार आपसी भाईचारे, प्रेम, और खुशियों का भी प्रतिनिधित्व करता है।
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दिवाली का महत्व (Dipawali Ka Mahatva)
दीपावली के त्यौहार से हर किसी की अलग-अलग परम्पराएं और रीति-रिवाज़ जुड़े हैं। हर परंपरा और हर एक कृत्य का अपना ही महत्व है। आइये जानते हैं दीपावली के पर्व को मनाने का क्या महत्व हैं:
दिवाली में लक्ष्मी पूजा का महत्व
ब्रह्म पुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है की दीपावली के दिन अर्धरात्रि को माता लक्ष्मी भ्रमण पर निकलतीं हैं। इसीलिए जिस घर में पूरे धूम धाम और रीती रिवाज़ से दिवाली मनाकर श्रद्धा-भाव से लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, उस घर में लक्ष्मी जी सदा के लिए निवास करतीं हैं।
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दिवाली में खरीदारी का महत्व
दिवाली में लोग अपनी ख़ुशी को ज़ाहिर करने के लिए नए कपड़ों के साथ-साथ और भी खरीददारी करते हैं। यह त्यौहार 2 दिन पहले धनतेरस से शुरू हो जाता है। इस दिन सोना, चांदी, एवं झाड़ू खरीदने का रिवाज़ है। कहते हैं इस दिन खरीदारी करने से साल भर घर में बरकत और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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दिवाली में पटाखे जलाने का महत्व
दिवाली के दिन पटाखे जलाने का भी विशेष महत्व है। यह न सिर्फ खुशियों को दर्शाता है बल्कि आपकी ज़िन्दगी के दुःख दर्द को दूर करने का भी प्रतीक माना जाता है। परन्तु आपको ये याद रखना आवश्यक है कि पटाखे के नाम पर शोर-शराबा या फिर वायु प्रदूषण न फैलाएं।
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दिवाली में मिट्टी के दीपक जलाने का महत्व
आजकल तरह-तरह की रौशनी की सामग्रियां और दीये बाज़ार में उपलब्ध हैं, परन्तु इस दिन मिट्टी के दीपक जलाने की विशेष महत्ता है। मिट्टी का दीपक पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही इससे मंगल और शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक महत्त्व होने के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। मिट्टी का दीपक जलाने से कीट पतंगों का नाश होता है और साथ ही यह पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाता।
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दिवाली में रंगोली का महत्व
दिवाली में घरों के घर आँगन पर रंगोली उकेरने की भी विशेष परंपरा है। हिन्दू धर्म में रंगोली शुभ और फलदायी ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। लोग ख़ुशी, समृद्धि, और सकारात्मकता का स्वागत करने के लिए रंगोली बनाते हैं। लक्ष्मी जी के पैरों को बनाने की भी परंपरा है ताकि देवी जी का आपके घर में सादर आमंत्रण कहलाता है।
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दिवाली के पहले घरों की साफ़ सफाई का महत्त्व
दिवाली के लगभग एक महीने पहले से ही घरों की साफ सफाई का दौर शुरू हो जाता है। दीपावली में साफ सफाई का विशेष महत्व है। कहते हैं देवी लक्ष्मी उसी घर में प्रवेश करतीं हैं, जहाँ पर साफ़ सफाई और रौनक होती है। इसीलिए घरों की साफ सफाई करके घर का रद्दी और पुराना सामान बाहर निकाला जाता है और तोरण, वन्दनवारों, लाइटों आदि से घरों को सजाया जाता है।
ये थी दिवाली को मनाने के महत्व की जानकारी। आइये जानते हैं दिवाली क्यों मनाई जाती है (diwali kyon manae jaati hai) इसकी पौराणिक मान्यताओं के बारे में।
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दीपावली के त्यौहार के बनाने के पीछे की पौराणिक मान्यताएं (Information About Diwali In Hindi)
दीपावली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं, जो हर एक धर्म के अनुसार भी अलग-अलग हैं। आइये जानते हैं दिवाली का त्यौहार मानाने के पीछे कौन-कौन सी धार्मिक और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं:
राम जी का रावण वध कर अयोध्या लौटना
दीपावली क्यों मनाया जाता है? रामायण की कथा के अनुसार पिता दशरथ के द्वारा दिए हुए माता कैकई के वचन को पूरा करने के लिए राम 14 वर्ष के वनवास पर गए थे। उनके जाने के बाद अयोध्या के राजमहल और पूरे नगर में मायूसियत और नीरसता छा गई थी। जब लंकेश्वर रावण का वध करके भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण जी सहित अयोध्या वापस लौटे थे, तो नगरवासियों ने पूरे नगर को दीपों से जगमगा कर उनका स्वागत किया था। उसके बाद से ही भारतवर्ष में दीपावली के त्यौहार की परंपरा शुरू हुई थी।
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देवी लक्ष्मी का जन्म
दिवाली क्यों मनाया जाता है, इसके अगली प्रचलित कहानी ये है कि: माता लक्ष्मी धन संपत्ति की देवी हैं, ये तो हम सभी जानते हैं। इनकी उत्पत्ति देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही समुद्र मंथन द्वारा क्षीर सागर से माता लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। यही कारण है कि हर वर्ष यह दिन दीपावली के रूप में मनाया जाता है और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। कथाओं में यह भी उल्लेख मिलता है कि देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विवाह इसी दिन हुआ था।
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देवी लक्ष्मी की रिहाई
दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, इसकी तीसरी कहानी ये है कि: ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु के पांचवे अवतार यानी वामन अवतार ने कार्तिक माह की अमावस्या के दिन ही देवी लक्ष्मी को राजा बलि की कैद से आज़ाद करवाया था। तब से यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत और दीपावली त्यौहार के रूप में हर साल मनाया जाता है और देवी लक्ष्मी की श्रद्धाभाव से पूजा की जाती है।
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श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने दिवाली के एक दिन पहले नरकासुर राक्षस का वध कर लोगों को उसके आतंक से आज़ाद किया था। दूसरे दिन गोकुल वासियों ने पूरे नगर में रौशनी कर उत्सव मनाया था। तब से इस दिन दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है और उसके एक दिन पहले नरक चतुर्दशी या नरक चौदस मनाया जाता है।
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पांडवों के लौटने की खुशी
महाभारत की कथा के अनुसार जब कौरवों ने पांडवों को शतरंज के खेल में हराया था तो पांडवों को शर्त के अनुसार 12 वर्ष के वनवास पर जाना पड़ा था। कथा के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को ही पांचो पांडव माता कुंती और द्रौपदी के साथ वनवास पूरा कर अपने राज्य लौटे थे। नगर के लोगों ने पटाखे और मिट्टी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था और उत्सव मनाया था।
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राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
राजा विक्रमादित्य का नाम भारत के महान राजाओं में शुमार है। ऐसी मान्यता है कि उनका राज्याभिषेक कार्तिक माह की अमावस्या को ही हुआ था और नगर वासियों ने बहुत धूमधाम से इस दिन को मनाया था।
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हिरण्य कश्यप वध
कथाओं के अनुसार दीपावली के दिन ही भगवान विष्णु ने दैत्यराज हिरण्य कश्यप का वध किया था। प्रजा ने घी के दीपक जलाकर खुशियाँ मनाई थी।
आर्य समाज की त्यौहार के पीछे की पौराणिक मान्यता
जैसा कि हम सभी जानते हैं की स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना की थी। ऐसा उल्लेख मिलता है कि दिवाली के दिन ही उन्हें निर्वाण की प्राप्ति हुई थी, इसीलिए आर्य समाज के लिए यह दिन ख़ास माना जाता है।
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मारवाड़ियों की त्यौहार के पीछे की पौराणिक मान्यता
मारवाड़ी लोगों के लिए दिवाली का दिन नए साल का आगमन कहलाता है। वे इस दिन को नए साल के जश्न के रूप में मनाते हैं।
जैन धर्म की त्यौहार के पीछे की पौराणिक मान्यता
जैन धर्म में दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai), आइये जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन जैन धर्म के संस्थापक महावीर तीर्थंकर ने निर्वाण की प्राप्ति की थी। इसलिए जैन धर्म के लिए दिवाली के त्यौहार का अपना महत्व है।
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सिख धर्म की दिवाली के पीछे की पौराणिक मान्यता
सिख धर्म में दीपावली क्यों मनाई जाती है (Diwali Kyu Manaya Jata Hai), इसके पीछे विशेष कारण है। इसी दिन 1577 ई. में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था। वहीं दूसरी ओर 1699 ई. में सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह को मुग़ल शासक जहांगीर ने 52 राजाओं के साथ ग्वालियर किले से कार्तिक मास की अमावस्या को ही रिहा किया था। इसी ख़ुशी में सिख धर्म के लोग दिवाली का त्यौहार मानते हैं।
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बौद्ध धर्म की दिवाली के पीछे की पौराणिक मान्यता
बौद्ध धर्म के लोग भी विशेष उपलक्ष्य के लिए दिवाली का त्यौहार मनाते हैं। कहते हैं इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध जी 17 सालों के बाद अपने अनुयायियों के साथ अपने गृह नगर कपिलवस्तु लौटे थे। तब उनके स्वागत में नगर वासियों ने लाखों की संख्या में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया और खुशियां मनाई थी।
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धनतेरस के पीछे की पौराणिक मान्यता
दीपावली के 2 दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि यह त्यौहार मनाने के पीछे क्या वजह है? पौराणिक ग्रंथों में ऐसा वर्णन मिलता है कि कार्तिक महीने की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन से धन्वंतरि का अमृत कलश लेकर आगमन हुआ था।
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गोवर्धन पूजा के पीछे की पौराणिक मान्यता
दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्री कृष्ण, और गायों की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगाए जाते हैं। इसके पीछे की कथा ये है कि भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पर उठाकर, ब्रजवासियों को इन्द्र देव के कोप से बचाया था।
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भाई दूज के पीछे की पौराणिक मान्यता
दीपावली के एक दिन बाद भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन जो भी बहन स्नान करके अपने भाई को तिलक करती है, उन्हें यम और यमुना का आशीर्वाद प्राप्त होता है और यम के भय से मुक्ति मिलती है। इसके पीछे की कहानी ये है कि एक बार यमुना ने स्नान आदि कर अपने भाई यम को तिलक कर उनका आदर-सत्कार कर उनसे वरदान प्राप्त किया था। तब से प्रतिवर्ष दीपावली के एक दिन बाद भाई-बहन का पवित्र त्यौहार भाई दूज मनाने की परंपरा है।
दोस्तों हमने इस लेख के माध्यम से सबसे प्रमुख त्यौहार दीपावली के बारे में समस्त जानकारी साझा की है। आशा है कि दीपावली पर हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा।
Frequently Asked Questions
Question 1: दीपावली पर किसकी पूजा की जाती है?
दीपावली पर देवी लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है ।
Question 2: दीपावली के दूसरे दिन को क्या कहते हैं?
दीपावली के दूसरे दिन को गोवर्धन पूजा कहते हैं ।
Question 3: दीपावली किसका प्रतीक है?
दीपावली सुख-समृद्धि, आस्था, और भाईचारे का प्रतीक है ।
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