आपने तो बड़ों से सुना होगा कि चिंता मत करो, चिन्तन करो। दोनों में फर्क क्या है? चिंतन क्या है (chintan kya hai)। चिंता अर्थात किसी समस्या के चलते व्यक्ति को होने वाला तनाव। इस तनाव के कारण व्यक्ति को कई बीमारियाँ हो जाती हैं और इसलिए डॉक्टर और गुरुजन चिंता न करने की सलाह देता हैं लेकिन वो चिन्तन की सलाह देते हैं । ऐसा क्यों।
चिन्तन क्या है, चिंतन का अर्थ क्या है चिंतन क्या है (chintan kya hai)। चिंतन करने कि सलाह क्यों दी जाती है, सवाल कई लोगो के मन में उठता है। आज हम आपको इस लेख में बतानी वाले हैं चिंता क्या है चिंतन क्या है (chintan kya hai), चिन्तन के साधन क्या है और चिन्तन के प्रकार क्या हैं। अगर आप भी चिन्तन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
चिंतन क्या है? (Chintan Kya Hai)
Chintan kya hai? जब भी हमारे सामने कोई समस्या आती तब, हम उस समस्या से निपटने के लिए कोई उपाय खोजने की कोशिश करते है। इस उपाय को करने को कोशिश को चिन्तन कहते है अर्थात समस्या के समाधान को सोचने की प्रक्रिया को चिन्तन कहते है। समस्या के उपाय के बारे में सोचना और विचार करना चिंतन है।
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चिन्तन के साधन (Chintan Ke Sadhan)
चिंतन क्या है (chintan kya hai) ये तो जान लिया आपने। अब हम चिंतन के साधन के बारे में जानेंगे। चिन्तन के कई साधन हैं जिसे विद्वानों ने चिन्तन प्रकिया के आधार पर निश्चित किया है।
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प्रतिमाएं अर्थात चित्र
इंसान जो भी अपने आस पास देखता या सुनता है उसे देखकर अपने मन में एक चित्र बना लेता है और फिर इन्हें के आधार पर चिन्तन करने लगता है। इसमें व्यक्ति के आगे कोई पदार्थ नहीं होता, जो होता है वो उसके मन में होता है।
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पदार्थ
पदार्थ अर्थात जो व्यक्ति के समक्ष प्रत्यक्ष हो, जिसे देखकर व्यक्ति चिन्तन करे।
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प्रत्यय
प्रत्यय वो शब्द है, वो विचार है जो हमारे मन में होता है। जैसे हाथी शब्द सुनकर हमारे मन में उसके लिए एक विचार आ जाएगा।
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प्रतीक और चिन्ह
चिन्ह और प्रतीक भी चिन्तन के प्रमुख साधनों में से एक है। इसमें व्यक्ति उसके सामने आने वाले चिन्हों और प्रतीकों के आधार पर चिन्तन करता है। जैसे सड़क पर दिशा के लिए लगे प्रतीक हमें सही दिशा में जाने और हमारी सुरक्षा के बारे में बताते हैं। बच्चा भी स्कूल में जब घंटा बजता है और जब घंटी बजती है का क्या मतलब है समझ जाता है क्योंकि उसे पता है घंटा बजा तो दूसरी क्लास लगेगी और जब घंटी बजेगी तो छुट्टी होगी।
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भाषा संकेत
भाषा भी चिन्तन का एक साधन है। हम भाषा और भाषा के संकेतों से अपने भाव और अपने विचार प्रकट करते है जैसे मुस्कुराना, रोना, अंगूठा दिखाना आदि। इसमें व्यक्ति किसी के बिना बोले ही भाव समझ जाता है।
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सूत्र
व्यक्ति हमेशा से ही छोटे छोटे सूत्रों के आधार पर अपने ज्ञान को इकट्ठा करके रखता है जैसे विज्ञान के सूत्र, गणित के सूत्र, संस्कृत के श्लोक आदि। इन सभी से व्यक्ति को ज्ञान मिलता है। सूत्रों को पढ़कर व्यक्ति उसमें निहित ज्ञान का चिन्तन करने लगता है।
चिंतन के प्रकार (Chintan Ke Prakar)
चिंतन क्या है (chintan kya hai),चिन्तन के साधन क्या है जान चुके हैं, अब हम चिन्तन के प्रकार जानते हैं।
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प्रत्यक्षात्मक चिंतन
इस चिंतन में प्रत्यक्ष चीज़े होती है। वो चीज़े जो आपके सामने है और उसको लेकर आपके में में विचार आए उसे प्रत्यक्षात्मक चिन्तन कहते है। जैसे बच्चा अपने सामने जो भी होता है उसके मन में उसी के लिए कोई विचार आ जाता है।
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प्रत्ययात्मक चिंतन
इस चिन्तन में पहले से विद्यमान चीज़ो के आधार पर चिंतन होता है अर्थात छवि को लेकर चिन्तन होगा। फिर उसके आधार पर किसी फैसले पर पहुँचा जाता है। जैसे एक बच्चा कोई जानवर पहली बार देखता है तो उसे देख एक छवि उसके अन्दर बन जाती है और जब वो फिर से कभी उस जानवर को देखता है तो वो उस छवि के चिन्तन से वो उसे पहचान जाता है।
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कल्पनात्मक चिन्तन
इस प्रकार के चिन्तन में भविष्य में लिए जाने वाले निर्णय का सम्बन्ध, पूर्व अनुभव से होता है। इस चिन्तन में आपके सामने कोई चीज हो ये जरूरी नहीं है। आप अपनी कल्पनाओं के बारे में सोचते हो। उदाहरण के तौर पर जब भी कोई अपने साथ अपने बच्चों को बाज़ार ले जाता है तो पहले से उसके मन में विचार होता है कि वो बच्चे के लिए खिलोंना जरूर लेगा। इसी तरह बच्चा भी अपने मन में कुछ चीज़े पास न होने के बावजूद चिन्तन करता है। कह सकते है वो कल्पना करना सीखता है।
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तार्किक चिन्तन
चिन्तन के इस प्रकार को उच्चतम माना जाता है। इस तरह के चिन्तन का सम्बन्ध तर्कों से होता है। इस प्रकार के चिन्तन को सिर्फ बुद्धिजीवी कर पाते हैं, साधारण मनुष्य तार्किक चिन्तन नहीं कर पाते। इस चिन्तन में चिन्तन दूर करने का उपाय और ग़लती या भूल शामिल होती है। उदाहरण के तौर पर सड़क पर लिखा होता है “सावधानी हटी दुर्घटना घटी”। इसमें सावधानी तार्किक चिन्तन है। इस प्रकार के चिन्तन में चिन्हों का या प्रतिको का इस्तेमाल होता है।
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राजनीतिक चिन्तन
राजनीतिक चिन्तन में राज्य के कानून, कार्य, अधिकार, प्रकृति, शक्ति, लक्ष्य, संरचना और शक्ति आदि विषयों पर सोच विचार के कार्य आते हैं। चिन्तन तो सब करते है ज्यादातर वो अपने लिए या अपने परिवार के लिए होता है लेकिन जब चिन्तन की दिशा राज्य और देश की किसी समस्या या किसी घटक जैसे सरकार आदि पर केन्द्रित हो जाती है तब चिंतन राजनीतिक चिन्तन का रूप ले लेती है। राजनीतिक चिन्तन हर व्यक्ति का अपना और अलग होता है और वो इस चिन्तन को मानने या न मानने के लिए पूर्णत: स्वतंत्र होता है। भारत में कई मशहूर चिंतक रहे हैं जैसे राजा राम मोहन राय, चाणक्य, अम्बेडकर आदि।
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अभिसारी चिन्तन
अभिसारी चिन्तन अर्थात वो चिन्तन जिसका मुख्य विषय एक ही रहता है। इस चिन्तन के लिए तथ्यों और तर्कों की जरूरत नहीं पड़ती। उदाहरण के तौर पर यदि आपसे एक सवाल पूछा जाए कि भारत का प्रधानमंत्री कौन है तो आपको बिना कोई तर्क दिए सीधे उत्तर देंगे नरेंद्र मोदी जी।
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आलोचनात्मक चिंतन
आलोचनात्मक चिंतन वो चिन्तन है जिसमें सत्य असत्य, गुण अवगुण, पक्ष विपक्ष सभी पहलुओं पर विचार किया जाता है। इस प्रकार का चिन्तन व्यक्ति के व्यक्तित्व पर बहुत अच्छा असर डालता है। इस चिन्तन से वो अपने ज्ञान को बढ़ाने की और प्रेरित होता है। इससे उसमें सही मुल्यांकन करने की क्षमता आ जाती है।
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विचारात्मक चिन्तन
ये भी चिन्तन का एक प्रकार है। इसमें चिन्तन से किसी भी समस्या का हल खोजने या अपने किसी लक्ष्य को पाने के लिए किया जाता है। इसमें सभी विचारों और तर्कों के बारे में सोच विचार करके निष्कर्ष निकाला जाता है।
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सृजनात्मक चिन्तन
जब किसी आइडिया या विचार की आधार पर कोई खोज की जाती है चाहे वो ज्ञान कि हो या कोई वास्तु उसे सृजनात्मक चिन्तन कहते है। इस तरह के चिन्तन में व्यक्ति खुद ही ऐसी समस्या खोजता है जिसका समाधान वो निकलना चाहता है। इसी चितंन की वजह से व्यक्ति और देश उन्नति करते हैं।
चिंतन का महत्व (Chintan Ka Mahatva)
चिंतन क्या है (chintan kya hai), ये तो आपको समझ आ गया होगा, क्या आप चिन्तन का महत्व क्या है जानते हैं?
कुछ लोग चिंता कर रहे होते है लेकिन उन्हें लगता है वो चिन्तन कर रहे हैं। ऐसा नहीं है। दोनों में फर्क है और व्यक्ति को चिन्तन करना आना चाहिए लेकिन ध्यान रहे चितन अच्छी और शुभ बातो का हो न कि गलत या अशुभ चीजों का। यदि व्यक्ति शुभ के लिए चिन्तन करेंगा तो उसका मन और उसकी बुद्धि सही काम करेगी और उसकी समस्याओं का समाधान होता जाएगा।
चिन्तन करने की आदत डालनी चाहिए क्योंकि यहीं उन्हें अच्छा और सकारात्मक सोचने के लिए प्रेरित करेगा। इससे व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति का विकास होगा। अपने सुना होगा मन चंगा तो सब चंगा। दिल दिमाग मजबूत होंगे और आप अच्छे और सकारात्मक चिंतन से व्यक्ति को कई लाभ भी होंगे। Chintan kya hai का जवाब काफी हद तक आपको समझ आ गया होगा।
व्यक्ति के दिमाग में हर वक्त कोई न कोई विचार चलता रहता है और उसके विचारों पर उसके आस पास के वातावरण का बहुत असर पड़ता है। पुराने विचारो में खुलापन और बदलाव चिन्तन से ही आता है, यह है chintan kya hai का जवाब। व्यक्ति अगर अच्छी अच्छी पुस्तकें पढने की आदत डाले तो उसका चिन्तन सही दिशा में होगा और पुस्तकों में लिखे अच्छे विचार उसके मन की चंचलता को भी कम कर देंगे जिसके फलस्वरूप व्यक्ति का जीवन शांतिमय हो जाता है। चिन्तन से व्यक्ति के सभी अवगुण धीरे धीरे कम होने लगते हैं और उसमें अच्छी अच्छी बातें और गुण आने लगते हैं।
व्यक्ति अगर चिन्तन करना चाहता है तो उसे एकांत में करना चाहिए।
चिंतन क्या है (chintan kya hai), के विषय में हमने आपको बहुत जानकारी दी। आपके चिंतन क्या है (chintan kya hai) के बारे क्या विचार हैं?
Frequently Asked Questions
Question 1: हिन्दू धर्म में चिन्तन क्या है?
हिन्दू धर्म में चिन्तन का अर्थ है ध्यान।
Question 2: चिन्तन के कुल कितने स्तर होते हैं?
चिन्तन के पाँच स्तर होते हैं, स्वली चिंतन, यथार्थ चिन्तन, अभिसारी चिन्तन, सर्जनात्मक चिन्तनऔर आलोचनात्मक चिंतन।
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