दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं भारत के ऐसे महान शासक की, जिन्होंने 24 वर्षों के अपने शासन काल में सम्पूर्ण भारत को एकीकृत कर दिया था। जी हाँ, ये महान सम्राट और कोई नहीं बल्कि मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य हैं।
तो आइये आज हम इस महान योद्धा के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। तो आइये चलते हैं लगभग 2700 साल पीछे जब मौर्य वंश का शासन काल हुआ करता था और जानते हैं सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास (Chandra Gupt Morya History in Hindi)।
चंद्रगुप्त मौर्य कौन थे (Chandra Gupt Morya Kaun The)
चन्द्रगुप्त मौर्य का पूरा नाम मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य था। उन्हें सैंड्रोकोट्स और एंडोकॉटस नामों से भी जाना जाता है।
ये मगध पर अपनी सत्ता ज़माने वाले मौर्य वंश के प्रथम राजा थे। उन्होंने अपने साम्राज्य को कश्मीर से लेकर डेक्कन और असम से लेकर अफ़ग़ानिस्तान तक फैला लिया था।
चंद्रगुप्त मौर्य भारत ही नहीं बल्कि आसपास के देशों में भी शासन किया करते थे। उनके शौर्य और पराक्रम की कीर्तिगाथा लोग आज भी याद करके गौरवान्वित महसूस करते हैं। भारत के महान योद्धाओं की बात की जाये तो चंद्र गुप्त मौर्य का नाम ज़रूर याद किया जाता है। उनका नाम भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है।
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चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास (Chandra Gupt Morya History in Hindi)
चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म एवं प्रारम्भिक जीवन (Chandra Gupt Morya Ka Janam Aur Prarambhik Jeevan)
चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म और प्रारम्भिक जीवन की बात करें तो किंवदतियों और किताबी प्रमाणों के अलावा कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है। अलग-अलग इतिहासकारों द्वारा इस पर विभिन्न- विभिन्न मत दिए गए हैं। बुद्धिस्ट परंपरा के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य का ताल्लुक क्षत्रिय समुदाय से था। तो वहीं प्रसिद्द संस्कृत नाटक मुद्राराक्षस के बात करें तो उन्हें “नंदनवय” अर्थात नन्द के वंशज कहके पुकारा गया है।
साथ ही इसी प्रसिद्द किताब में उन्हें कुल-हीन और वृषाला कहकर भी पुकारा गया है। तो अगर हम भारतेन्दु हरीशचंद्र के अनुवाद की बात करें तो चन्द्रगुप्त के पिता नन्द के राजा महानंदा को बताया गया है और उनकी माता का नाम मुरा बताया गया है।
सामान्य तथ्यों के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म पाटलिपुत्र बिहार में 340 ईसापूर्व में हुआ था। उनका जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था और उनके पिता का नाम नंदा था जो नंदों की सेना में एक अधिकारी पद पर थे। चंद्रगुप्त के जन्म के पहले ही उनके पिता की एक युद्ध में मृत्यु हो गई थी। उनकी माँ अपने प्राणों की रक्षा के लिए अपने भाइयों के साथ पप्पा-पुर शहर चली गईं थीं।
चन्द्रगुप्त के जन्म के बाद उनके मां ने उनके पालन पोषण का जिम्मा एक ग्वाला को दे दिया था। पर जैसे ही चंद्र थोड़े बड़े हुए तो ग्वाले ने उन्हें एक शिकारी को बेच दिया। वहाँ पर चंद्र मवेशियों के पालन के काम में संलग्न हो गए। इसी तरह से चंद्र गुप्त मौर्य का बचपन बीता और वे बड़े हुए। इसी दौरान चंद्र की मुलाकात आचार्य चाणक्य से हुई थी जिन्होंने उनके आगे के जीवन में बहुत अहम् भूमिका निभाई थी।
ऐतिहासिक तथ्यों में ऐसे भी प्रमाण मिलते हैं कि चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता नंदा के एक सौतेले भाई नवनादास थे जिनकी बिल्कुल भी नहीं पटती थी। नवनादास हाथ धोकर अपने भाई की जान लेने पर उतारू हो गए थे। ऐसा माना जाता है कि चंद्र के 99 भाई जिन्हें नवनादास ने मार दिया था। किसी तरह चंद्र की माँ ने उन्हें बचा लिया था और वो मगध साम्राज्य में रहकर अपना जीवन यापन करने लगे थे।
जब चंद्र की मुलाकात आचार्य चाणक्य हुई तो उन्होंने चंद्र के गुणों को पहचानकर अपने साथ तक्षिला ले गए। चाणक्य ने उन्हें सभी प्रकार की शिक्षा की और वो सरे गुर सिखाये जो एक अच्छे शासक में होने चाहिए।
Chandra Gupt Morya History In Hindi में जानते हैं कैसे हुआ नन्द वंश का अंत और मौर्य साम्राज्य का उदय..
नन्द वंश का अंत और मौर्य साम्राज्य का उदय (Nand Vansh Ka Ant Aur Morya Samrajya Ka Uday)
नन्द वंश के राजा धनानंद थे। ऐसा माना जाता है कि सिकंदर के आक्रमण से पहले और चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन की शुरुआत से पूर्व समस्त उत्तर भारत में धनानंद का आधिपत्य था। चन्द्रगुप्त मौर्या और चाणक्य दोनों के पास पतन का उद्देश्य था। नन्द वंश के शासकों ने चन्द्रगुप्त का हक़ छीन लिया था तो वहीं चाणक्य का नन्द वंश के सम्राट धनानंद ने भरी सभा में अपमान किया था।
जब चंद्र और चाणक्य की मुलाकात हुई तो दोनों को एक दूसरे की कार्य पूर्ति के लिए योग्य लोग मिल गए। आचार्य चाणक्य की सलाह और शिक्षा से और प्राचीन हिमालय क्षेत्र के राजा एवं कुछ अन्य शक्तिशाली राजाओं के साथ मिलकर चंद्र ने 322 ई. पू. में पाटलिपुत्र के नन्द वंश पर हमला कर उस पर विजय प्राप्त कर ली। इस तरह आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन से एक विशाल सेना का निर्माण करके चंद्र गुप्त मौर्य ने बहुत कम उम्र में नन्द वंश का पतन कर दिया था। इसके बाद चंद्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की और चाणक्य को प्रधानमंत्री और मुख्य राजनीतिक सलाहकार का दर्जा दिया।
अब जानते हैं Chandra Gupt Morya History in Hindi में मौर्य साम्राज्य कि वृद्धि कैसे हुई।
मौर्य साम्राज्य कि वृद्धि (Chandragupta Maurya In Hindi)
चन्द्रगुप्त मौर्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिकंदर (एलेग्जेंडर द ग्रेट) था। आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन और उनके राजनीतिज्ञ ज्ञान से चन्द्रगुप्त ने अपने मौर्य साम्राज्य को पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान से लेकर पश्चिम में बर्मा और उत्तर में जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण में हैदराबाद तक फैला लिया था।
323 ई. पू. में सिकंदर की मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य छोटे-छोटे खण्डों में जो कि वर्तमान ईरान, तजाकिस्तान, और किर्गिस्तान है, में बंट गया। हर एक हिस्सा एक स्वतंत्र राज्य था और हर एक का एक अलग शासक था। 316 ई. पू. में महान चन्द्रगुप्त मौर्य ने उन छोटे-छोटे हिस्सों पर विजय प्राप्त कर उन्हें मौर्य साम्राज्य में शामिल कर लिया। इस तरह मौर्य साम्राज्य का और अधिक विस्तार हो गया।
इसके बाद चन्द्रगुप्त ने 305 ई. पू. में मैकाडोनिया के 2 तानाशाहों की हत्या कर अपने साम्राज्य को पूर्वी फारस तक फैला लिया। इस समय पूर्वी एशिया में एलेग्जेंडर के सेनापति रह चुके सेल्यूकस निकेटर का शासन था। चन्द्रगुप्त मौर्य भी पूर्वी एशिया का बहुत सारा हिस्सा जीत चुके थे, इसलिए वे सेल्यूकस निकेटर से समझौता करने के पक्ष में थे। इस तरह निकेटर के साथ संधि करके चंद्र ने मौर्य साम्राज्य को एक विशाल और सुदृढ़ साम्राज्य बना लिया था। इसके बाद उनकी गिनती विश्व के महान सम्राटों में होने लगी थी।
Chandra Gupt Morya History in Hindi में आगे है चन्द्रगुप्त के विवाह की कहानी..
चंद्रगुप्त मौर्य का विवाह (Chandragupta Mory Ka Vivah)
चन्द्रगुप्त मौर्य का पहला विवाह रानी दुर्धरा से हुआ था और वे बेहद सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे थे। रानी दुर्धरा से उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी, जिनका नाम बिन्दुसार पड़ा था। परन्तु पुत्र के पैदा होने से पहले ही रानी की मृत्यु हो गई थी।
सेल्यूकस निकेटर से गठबंधन के बदल चंद्र का दूसरा विवाह सेल्यूकस की बेटी हेलेना से हुआ था। इसके बदले चन्द्रगुप्त ने 500 हाथियों की विशाल सेना सेल्यूकस को दी थी। हेलेना से चंद्र को कोई संतान प्राप्ति नहीं हुई थी अर्थात सारा राजभार बिन्दुसार को सौंप दिया गया था। इससे नाखुश होकर हेलेना अपने मायके चली गईं और चन्द्रगुप्त ने सन्यास लेने का फैसला कर लिया।
Chandra Gupt Morya History in Hindi में जानें चन्द्रगुप्त की मृत्यु कैसे हुई..
चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु (Chandragupta Morya Death)
चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 297 ई. पू. में कर्नाटक के श्रवणबेलगोला की गुफाओं में उनके आध्यात्मिक गुरु भद्रबाहु के मार्गदर्शन में हुई थी। कहते हैं कि अपने पुत्र बिन्दुसार को राजगद्दी सौंपने के बाद चन्द्रगुप्त कर्नाटक की पहाड़ियों में जाकर रहने लगे थे। वे जैन धर्म के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने जैन धर्म को अपना लिया और जैन संत भद्रबाहु को अपना गुरु बना लिया।
श्रवणबेलगोला में चंद्रगिरि की पहाड़ियों में उन्होंने एक मंदिर का निर्माण करवाया था। उसी मंदिर में अब चंद्रगुप्त की समाधि है और उस स्थल को चंद्र बसरी कहा जाता है। अपने 50 वर्षों के जीवन और 24 वर्षों के शासनकाल में चन्द्रगुप्त ने वह सब कुछ किया जो उन्हें भारतीय उपमहाद्वीप के महान राजाओं की श्रेणी में लाता है।
Chandra Gupt Morya History in Hindi में आगे पढ़ें..
चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु कौन थे (Chandra Gupt Morya Ke Guru Kaun The)
जैसा कि हमने पहले के पैराग्राफ्स में पढ़ा: चन्द्रगुप्त मौर्य के राजनैतिक गुरु आचार्य चाणक्य और आध्यात्मिक गुरु भद्रबाहु थे। उनके राजनीतिक गुरु चाणक्य ने उन्हें युद्ध कौशल और राजनीति से सम्बंधित समस्त ज्ञान प्रदान कर उनका मार्गदर्शन किया था। आचार्य चाणक्य की ही मदद और शिक्षा से चन्द्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना कर उसका भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी विस्तार किया था।
चन्द्रगुप्त के आध्यात्मिक गुरु जैन संत भद्रबाहु जैन धर्म और आध्यात्म से सम्बंधित शिक्षा दी थी। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों को गुरु भद्रबाहु के मार्गदर्शन में व्यतीत किया और उन्हीं के मार्गदर्शन में उनकी मृत्यु हुई।
तो मित्रों ये था चन्द्रगुप्त का सम्पूर्ण इतिहास (Chandra Gupt Morya History in Hindi), आशा है आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा होगा।
Frequently Asked Questions
Question 1: चन्द्रगुप्त मौर्य (Chandra Gupt Morya History in Hindi) क्यूँ प्रसिद्ध हैं ?
चन्द्रगुप्त मौर्य के ऐतिहासिक तथ्यों (Chandra Gupt Morya Ka Itihas – Chandra Gupt Morya History in Hindi) के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य, मौर्य साम्राज्य की स्थापना और अपने विशाल साम्राज्य विस्तार जो की भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी था, के लिए प्रसिद्ध हैं।
Question 2: चन्द्रगुप्त मौर्य की कितनी पत्नियाँ थीं ?
चन्द्रगुप्त मौर्य के 2 विवाह हुए थे और उनकी दुर्धरा और हेलेना नाम की 2 पत्नियाँ थीं।
Question 3: मौर्य काल में कौन सी भाषा बोली जाती थी ?
मौर्य काल में संस्कृत, पालि, और प्राकृत तीन भाषाएं प्रचलन में थीं।
Question 4: आचार्य चाणक्य की मृत्यु कैसे हुईं थी ?
आचार्य चाणक्य की मृत्यु के विषय में दो कहानियाँ प्रचलित है । एक इस प्रकार है कि चाणक्य ने मृत्यु के नया आने तक अन्न जल का त्याग कर दिया था । और दूसरी यह बयान करती है कि आचार्य चाणक्य की मृत्यु दुश्मन के षड्यन्त्र का शिकार होने की वजह से हुईं थी।
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