Bhramari pranayama benefits in hindi पढने के बाद हर व्यक्ति इसे रोज़ करने के लिए प्रेरित ज़रुर होगा। भारत द्वारा दुनियाँ को दी गई देन में से एक प्रमुख देन है योग। योग सालों से भारत में किया जाता रहा है। हमारे ऋषि मुनि जंगलों में तप करते थे और सादा जीवन जीते हुए योग करते थे। योग की वजह से वो कभी भी बीमार नही पड़ते थे और उनकी उम्र आजकल के व्यक्तियों से कई ज्यादा हुआ करती है।
पिछले कुछ सालों से योग को पहले के मुकाबले ज्यादा महत्व मिलने लगा है। भारत में ही नही बल्कि पूरी दुनिया इस बात को समझ गई है कि फिट रहने का सबसे सस्ता और सबसे सरल और सबसे कारगर यदि कोई उपाय है तो वो योग है।
योग यदि नियमित रूप से किया जाए तो व्यक्ति हमेशा फिट रह सकता है, बीमारियों से कोसो दूर रह सकता है, खुश रह सकता है, शांति में जीवन जी सकता है और अपने काम पहले के मुकाबले बहुत अच्छे तरीके से कर सकता है। योग करने से व्यक्ति का एकाग्रता ग़जब की हो जाती है।
आज की पोस्ट में हम आपको भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) के बारे में बताने वाले हैं, इसलिए इस पोस्ट को अंत तक ज़रुर बने रहे।
कहते हैं जो योग को नियमित और शिद्दत से करता है वो हमेशा खुश भी रहता है क्योंकि योग से उनका मन और दिमाग दोनों शांत रहते हैं और जिनका दिमाग और मन शांत होता है उसका जीवन सुधर जाता है और वो हमेशा ही हर हाल में खुश रहता है और उसके सामने कितनी भी मुश्किलें आए वो हमेशा शांत रहकर उसका सामना करता है।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) के लाभ जाने उससे पहले जान लेते हैं भ्रामरी प्राणायाम क्या है?
भ्रामरी प्राणायाम का अर्थ क्या है?
भ्रामरी प्राणायाम मधुमक्खी से प्रेरित हैं जिसका नाम है बढ़ई मधुमक्खी। इस मक्खी को भ्रामरी के नाम से भी जाना जाता है। जब व्यक्ति इस योग को करता है और इस योग की प्रक्रिया में जब जब वो साँस छोड़ता है तब तब ऐसा लगता है कोई बढ़ई मधुमक्खी भिनभिना रही हो। उस ध्वनि के कारण इसे भ्रामरी प्राणायाम योग का नाम मिला है।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) जाने उससे पहले जान लेते हैं कि उसे करने का तरीका क्या है और इसे कब करना चाहिए।
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भ्रामरी प्राणायाम कब और कैसे करें?
- आप इस योग को जब भी करे तब ध्यान रहे कि आपके आस पास शांत वातावरण हो और वहां अच्छी और मंद हवा चल रही हो। वही पर योग करने बैठ जाए। जब भी इस योग को करने बैठे आपके चेहरे पर मुस्कान होनी चाहिए।
- सबसे पहले अपनी आँखों को कुछ देर के लिए बंद करे। कुछ देर ऐसे ही शांति को महसूस करे और मन की तरंगों को महसूस करे।
- अब कानों पर तर्जनी उंगली रखे। आपके गाल और आपके कान के बीच उपास्थि में उंगली रखे।
- अब लम्बी गहरी साँस लें।
- अब धीरे धीरे साँस को छोड़े और उपास्थि पर दबाव डाले।
- आप जब दबाव को उपास्थि पर बनाते हैं या फिर से उंगली से दबाते या छोड़ते हैं तो मधुमक्खी जैसी आवाज़ निकलती है।
- आपके कान व गाल की त्वचा के बीच में एक स्थान है। वहाँ अपनी उंगली को रखें। अब भिनभिनाने वाली ध्वनि निकाले, ध्यान रहे ध्वनि लम्बी हो। आप चाहे तो आवाज़ नीची ध्वनि की भी निकाल सकते हैं, लेकिन योगाचार्यो के अनुसार ऊंची आवाज़ निकलना ज्यादा लाभकारी है।
- इस प्रक्रिया को आप तीन से चार बारे करे।
हम आपको भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) बताए उससे पहले आपको इस योग को करने का एक और तरीका बताते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम योग करने का दूसरा तरीका
यदि आप बैठकर नही करना चाहते हैं तो आप ये योग दाई ओर करवट लेकर या पीठ के बल आराम से लेटकर भी ले सकते हैं। आचार्यो अनुसार जब आप पीठ के बल लेटकर इस योग को करते हैं तो आप गिलगिलने की ध्वनि निकाले। इस पोजीशन में योग करते समय आप कान पर अपनी तर्जनी उंगली न रखे। इस योग को आप दिन में तीन से चार बार कर सकते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi)
योग विशेषज्ञों के अनुसार भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) से अनेक लाभ होते हैं।
- इस योग से व्यक्ति के दिमाग की नसों को आराम मिलता है और मस्तिष्क पहले के मुकाबले ज्यादा काम करता है। ये ध्वनि बच्चों के मन को नेचुरल तरीके से शांत करती है।
- योगाचार्यो के अनुसार भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) की लिस्ट में चित का शांत हो जाना भी शामिल है।कहते हैं जो व्यक्ति रोज़ भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करता है वो क्रोध, निराशा, चिंता आदि से मुक्त होकर एक शांत जीवन जीता है। इस योग को करने का बढ़ा ही सिंपल तरीका है जिसे व्यक्ति घर में हो तब कर सकता है और जब ऑफ़िस में हो तब भी कर सकता है। जो चिंता मुक्त रहना चाहते हैं उन्हें भ्रामरी प्राणायाम करना ही चाहिए।
- भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) की लिस्ट में अगला लाभ है व्यक्ति का टेंशन फ्री रहना।भ्रामरी प्राणायाम योग को यदि व्यक्ति नियमित रूप से करता है तो वो जल्दी ही चिंता मुक्त हो जाएगा। उसे कोई भी परेशानी आने पर चिंता नही होगी और न ही कोई टेंशन।
- भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) के लाभ की लिस्ट का ये लाभ इसे रोज़ करना ज़रुरी बनाता है। जो भ्रामरी प्राणायाम योग करते हैं उन्हें गुस्सा बहुत कम आता है। कह सकते हैं उनका अपने गुस्से पर कंट्रोल हो जाता है और वो बात बात पर गुस्सा करना छोड़ देते हैं।
- इस योग से व्यक्ति की उत्तेजना कम हो जाती है या ख़त्म हो जाती है।
- भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को भी मिलते है। ये योग उन लोगो के लिए बहुत लाभदायक है जो हाइपरटेंशन के रोगी है।
- जब व्यक्ति को तेज़ सर्द हो तब भ्रामरी प्राणायाम योग बहुत लाभ पहुँचता है। ये भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) भी इसे बेहद जरुरी योग बनाता है।
- भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) गर्मी में भी महसूस किए जा सकते हैं।जब व्यक्ति को बहुत गर्मी लग रही हो तब भी ये योग करना चाहिए। इस योग को करने के बाद उसको कम गर्मी लगेगी।
- यदि व्यक्ति को माइग्रेन की वजह से बार बार और तेज़ सिरदर्द होता है तो उनके लिए ये योग रामबाण की तरह है।
- जो इस योग को नियमित रूप से करता है उसका दिमाग बहुत तेज हो जाता है और वो अपना काम बहुत अच्छे से कर पाता है।
- इस योग को करने से व्यक्ति का अपने आप पर पूरा कण्ट्रोल हो जाता है जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
- जो व्यक्ति इस योग को नियमित रूप से करता है उसकी सोच सकारात्मक होती है। भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) का ये पहलु आजकल के नकारात्मक वातावरण में बेहद जरूरी है।
- इस योग से व्यक्ति की स्मरणशक्ति तेज़ हो जाती है और उसकी एकाग्रता बढ़ जाती है।
- जो व्यक्ति रोज़ इस योग को करता है उसे सबसे ज्यादा सर्दी के मौसम में फायदा होता है। इस योग से व्यक्ति को साइनस से हो रहे दर्द, नाक बहना, सिरदर्द आदि परेशानी कम हो जाती है।
- योगाचार्यों का कहना है इस योग को करने से व्यक्ति की कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है।
- इस योग को करने वालों की आवाज़ बहुत मधुर हो जाती है। इसी कारण संगीतकार और सिंगर इस योग को ज़रुर करते हैं।
- जिनको थाइरोइड है उनके लिए ये योग बहुत फायदेमंद है।
- जो ये योग नियमित रूप से करता है उसे ब्लड से जुड़ी सभी परेशानियाँ दूर हो जाती है।
भ्रामरी प्राणायाम करते समय सावधानी
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) जानने के साथ साथ ये जानना भी ज़रुरी है कि इस योग को करते समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
- जब व्यक्ति को कान में दर्द हो रहा हो उसे ये योग नही करना चाहिए।
- इसे करने की संख्या धीरे धीरे बढ़ानी चाहिए।
- इस योग को करते समय यदि घबराहट हो रही हो या चक्कर आ रहे हो या सिरदर्द या खांसी हो रही हो तो ये योग करना बंद करे और अपने डॉक्टर से सम्पर्क करे।
- ये योग करते समय पेट खाली होना ज़रुरी है इसलिए सुबह हो या शाम खाने और आपके योग करने के समय में उचित अन्तराल होना चाहिए।
भ्रामरी प्राणायाम योग करने वक्त ध्यान देने योग बाते
- जब भी आप भ्रामरी प्राणायाम योग कर रहे हैं तो ध्यान रखे कि आप अपनी तर्जनी उंगली कान पर न रखकर उपास्थि पर रखे।
- जब आप उपास्थि को दबा रहे हो तो ज्यादा तेज़ न दबाए। धीरे धीरे दबाएँ।
- जब आप मधुमक्खी की तरह आवाज निकालते हैं अब अपना मुंह रखे।
- आप षण्मुखी मुद्रा में उँगलियों को रखकर भी भ्रामरी प्राणायाम योग कर सकते हैं।
- इस योग को करते समय अपने फेस को ज्यादा न दबाए।
- इस योग को सिर्फ 3 से 4 बार ही करे। इससे ज्यादा बार करने की कोशिश न करे।
- इस योग को बच्चे से लेकर बड़े सभी कर सकते हैं। बस ध्यान रहे जब आप नया नया कर रहे हैं तो आप किसी एक्सपर्ट योगाचार्य की निगरानी में ये योग करे। जब आपको इसकी अच्छे से जानकारी और प्रैक्टिस हो जाएगी तब आप इसे घर पर कर सकते हैं।
- योग करना व्यक्ति के शरीर के साथ साथ मन के लिए भी जरुरी है लेकिन यदि आप किसी एक्सपर्ट की निगरानी में करेंगे तो आपको ज्यादा फायदा होगा क्योंकि आप उनकी निगरानी में बिलकुल सही तरीके से योग करेंगे।
- यदि आपको कोई भी बीमारी है तो कोई भी योग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रुर लें क्योंकि बिना उनकी सलाह के यदि आप करेंगे तो आपको फायदे की जगह नुक्सान भी हो सकते हैं।
उम्मीद है आप भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits in hindi) जानकर आज से ही किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ये योग करना शुरू करेंगे।
Frequently Asked Questions
Question 1: भ्रामरी प्राणायाम योग करने का सही समय क्या है?
भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय उपयुक्त होता है, बस ध्यान रहे पेट खाली होना चाहिए।
Question 2 : भ्रामरी प्राणायाम योग कितने समय करना चाहिए?
इसे दो से पाँच बार कर सकते हैं और एक बार में 15 सेकंड्स तक मधुमक्खी की तरह आवाज़ निकाल सकते हैं।
Question 3 : भ्रामरी प्राणायाम कब नही करना चाहिए?
जब महिला को मासिक धर्म हो तब नही करना चाहिए।
Question 4 : भ्रामरी प्राणायाम कब नही करना चाहिए?
गर्भवती महिलाओं को भ्रामरी प्राणायाम नही करना चाहिए।ये उन्हें भी नही करना चाहिए जिसे ब्लड प्रेशर, सीने में दर्द, मिर्गी, या कोई कान में संक्रमण की बीमारी हो।
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