जब भी भारत देश की बात होती है तब ये बात जरुर उजागर होती है की भारत एक ऐसा इकलौता देश है जिसमें सिर्फ खान पान या रहन सहन में ही नही बल्कि नृत्य में भी विविधता है। यहाँ पर कई तरह की भाषाएँ बोली जाती है साथ ही कई तरह के लोक नृत्य भी किए जाते हैं। भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) हमारी संस्कृति को रोचक और जानदार तरीके से प्रस्तुत करते हैं। यहाँ पर हर उत्सव पर लोक नृत्य (lok nritya) करने की परंपरा चली आ रही है। हर राज्य में अलग अलग लोक नृत्य (lok nritya) है जो अलग अलग वेशभूषा और संगीत के साथ अलग अलग वाद्य यंत्रो का इस्तेमाल करते हुए किया जाता है।
लोक नृत्य क्या है ?
लोक नृत्य (lok nritya) वो नृत्य हैं जो एक विशेष राज्य में लोगों द्वारा समूह में किया जाता है यानी लोक नृत्य का अर्थ वो नृत्य हैं जो एक स्थान विशेष के लोग अपने विचारो और परम्पराओं पर आधारित नृत्य करते हैं। उनके नृत्य में जोश और ख़ुशी झलकती है। लोक नृत्य को उस क्षेत्र के लोग चाहे वो पारंगत नर्तक हो या न हो सभी कर सकते हैं। ये नृत्य किसी नियम से बंधे नही होते।
इसकी ख़ास बात है कि भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) पर किसी एक ग्रुप या का किसी संस्था का नियंत्रण नही होता है। जिसका मन चाहे वो अपने समूह के साथ मिलकर लोक नृत्य कर सकता है। देश के अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरह के लोक नृत्य किए जाते हैं जो खासकर उनके त्योहारों और उत्सवो जैसे सांस्कृतिक उत्सव, धार्मिक अनुष्ठान, शादी, बच्चे के पैदा होने आदि पर किए जाते हैं। ऐसा नही है कि एक क्षेत्र का सिर्फ एक ही लोक नृत्य हो, एक से ज्यादा भी हो सकते हैं।
भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) अलग अलग शैली में किए जाते हैं। कुछ लोक नृत्य उनके दुखो को भी बयान करते हैं। देश के सभी लोक नृत्य भारत का एक अटूट और खूबसूरत हिस्सा बन गए हैं। लोक नृत्य की विशेषता सिर्फ नृत्य नही होता बल्कि उनका संगीत भी होता है। संगीत उनके लोक नृत्य को चार चाँद लगा देता है। भारतीय संस्कृति को समृद्धशाली और संपन्न बनाने में लोक नृत्यों का बहुत बड़ा हाथ है।
लोक नृत्य भी संगीत कला, हस्तकला और चित्रकला की तरह प्राचीन काल से किए जा रहे हैं। लोक नृत्य 19वी शताब्दी से भी पहले से किए जाते हैं। भारत के लोक नृत्य दुनिया के लोक नृत्यों से अलग हैं क्योकि इन नृत्यों से भारत की सभ्यता, संस्कृति और उन्नत परम्पाएं प्रदर्शित होती है। Bharat ke lok nritya के सरस, संगीतमय, सजीव, प्रभावशाली और भावुक प्रस्तुति इसे भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है।
भारत के प्रमुख लोक नृत्य की सूची (Bharat ke Lok Nritya List)
जैसा की हमने बताया की लोक नृत्य एक जगह से जुड़ी संस्कृति, सभ्यता और रहन सहन दर्शाता है। आइये जानते है ऐसे प्रमुख भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) के बारे में।
1) राजस्थान के लोक नृत्य
राजस्थान राज्य अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। इसे गुलाबी शहर के नाम से भी जाना जाता है। ये सिर्फ अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और जायकेदार व्यंजनों के लिए ही नही बल्कि अपने लोक नृत्यों के लिए भी जाना जाता है। राजस्थान में कई लोक नृत्य किए जाते हैं जो अलग अलग जनजाति के लोग करते हैं। घूमर, कालबेलिया, भवाई और तेरहताली आदि लोकप्रिय राजस्थान के लोक नृत्य (Rajasthan ke lok nritya) हैं। इन सब में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नृत्य घूमर है।
इस लोकनृत्य की छटा देखते ही बनती है। ये नृत्य हर समारोह, शादी, धार्मिक पर्व और त्योहारों में किया जाता है। इस नृत्य का मुख्य आकर्षण है इसका संगीत और इसको करते वक्त ज्यादातर पहने जाने वाला घाघरा चोली पहनावा। घूमर राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में महिलाओं द्वारा किया जाता है। ये राजकीय लोक नृत्य माना जाता है। इस नृत्य को करने के लिए मंजीरा, ढोल, शहनाई और नगाड़ा वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है। गणगौर उत्सव में विशेष रूप से किया जाता है। इस नृत्य में हाथो और कमर को अलग ही तरीके से इस्तेमाल होता है जो इसे बाकी नृत्यों से अलग बनाता है।
घूमर के बाद भवाई है जो भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) में से एक है और राजस्थान के लिए खास है। इस नृत्य को मटका नृत्य भी कहते हैं क्यूंकि इसमें लोग अपने सिर पर बहुत सारे मटके रखकर नृत्य करते हैं। ये मेवाड़ क्षेत्र में बहुत किया जाता है। तेरहताली भी लोकप्रिय लोकनृत्यो में से एक है। इसे खासकर कामड़ जाति की स्त्रियाँ करती हैं। इसे वो रामदेव जी के मेले में करती हैं। इस नृत्य को करते समय 13 मंजीरे इस्तेमाल होते हैं। कोहनी में 2, दाहिने पैर में 9, हाथो में 1-1 मंजीरे बांधे जाते हैं। सिर पर कांसे की ताली रखी जाती है जिसमें चरखी और लोटे के ऊपर जलता हुआ दिया रखा जाता है और नंगी तलवार को मुंह में रखकर 13 अलग अलग ताल में 13 अलग अलग स्थितियों में बैठकर किया जात है। इस लोक नृत्य में पुरुष ढोलक और तंदूरा बजाते हैं।
कालबेलिया नृत्य सपेरो का लोक नृत्य है। इस महिलाऐं गाना गाते हुए करती हैं।
2) पंजाब के लोक नृत्य
भारत के उत्तर में बसा पंजाब राज्य अपने दार्शनिक स्थलों जैसे गोल्डन टेम्पल और रॉक गार्डन के लिए ही नहीं बल्कि भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) की सूचि में भी बहुत ऊपर है। गिद्दा और भांगड़ा पंजाब के लोक नृत्य (Punjab ke lok nritya) हैं जो इतने जोश के साथ किया जाता है कि आस पास के लोग भी अपने आप को इस नृत्य का हिस्सा बनने से नही रोक पाते। भांगड़ा खासकर पुरुषों द्वारा किया जाता है और गिद्दा महिलाओं द्वारा किया जाता है।
जब भी कोई त्यौहार आए जैसे बैसाखी या वसंत उत्सव या कोई शादी हो, पंजाब के लोक नृत्य (Punjab ke lok nritya) भांगड़ा और गिद्दा उस कार्यक्रम का अवश्य हिस्सा होते है। इस नृत्य को करते वक्त हाथो को ऊपर की ओर उठाकर जोर जोर से किया जाता है। इसे पुरुष खासकर अपना देसी पहनावा कुर्ता पजामा या लुंगी पगड़ी पहनकर करते हैं। महिलाएं पारंपरिक पोषक कुर्ता, सलवार और कड़ाईदार दुपट्टा पहनकर करती हैं। भांगड़ा और गिद्दा करने के लिए एक विशेष तरह का ढोल बजता है।
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3) महाराष्ट्र के लोक नृत्य
भारत के दक्षिण में स्थित महाराष्ट्र राज्य जिसका मुंबई शहर भारत की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है अपने लोक नृत्य के लिए भी लोकप्रिय है। महाराष्ट्र के कई लोकनृत्य हैं जिसमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय लावणी और तमाशा है। महाराष्ट्र के लोक नृत्य (Maharashtra ke lok nritya) लावणी का प्रमुख आकर्षण होता है महिलाओं द्वारा विशेष स्टाइल में पहनी गई 9 गज की साडी। तेज ढोलक की ताल में घुंघुरुओं की झंकार के साथ और जोशीले संगीत के साथ जब ये नृत्य किया जाता है तब ये सबका मन मोह लेता है। राजा महाराजाओं के समय ये नृत्य युद्ध में थके हुए सैनिको को आराम देने और उनके मनोरंजन के लिए किया जाता था।
तमाशा भी महाराष्ट्र के लोक नृत्य (Maharashtra ke lok nritya) में से एक है। ये नृत्य महाभारत और रामायण पर आधारित होते हैं। इस लोक नृत्य के दो रूप है एक है भगवान विष्णु जी के सभी दस अवतारों को नाट्य से प्रस्तुत करना और दूसरा है गाथागीत गायन।
4) गुजरात के लोक नृत्य
भारत के पश्चिम दिशा में बसा गुजरात राज्य अपनी संस्कृति और व्यंजनों के लिए तो लोकप्रिय है ही साथ ही वो भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) में सबसे उत्तम राज्यों की सूचि में भी ऊपर है। गुजरात के लोक नृत्य (Gujarat ke lok nritya) कई हैं जैसे डांडिया रास, गरबा, जुरुन, टिप्पनी आदि लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रिय गरबा और डंडिया रास है। आज ये सिर्फ गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में नवरात्रि के नौ दिनों में किया जाता है।
गरबा और डांडिया रास समूह में किया जाता है। ये समूह इतना बड़ा होता है कि एक बड़ा सा मैदान भी छोटा पड़ जाता है। गरबा और डांडिया रास के समय जो संगीत बजता है और जो गुजराती गाने गाए जाते हैं वो इतने मोहक होते हैं कि गरबा और डांडिया रास देखने आए दर्शक भी गरबा प्रांगन में घुसकर गरबा करने लग जाते हैं।
गुजरात के लोक नृत्य (Gujarat ke lok nritya) का आकर्षण उनके संगीत के साथ साथ उनकी पोषक भी होती है। महिलाऐं रंग बिरंगे चनिया चोली या घाघरा चोली, दुपट्टा, चनियो, और अनोखी ज्वेलरी पहनती हैं और पुरुष रंग बिरंगे कुर्ता, धोती, केडियु, फेंटो, चोरन आदि पहनते हैं। कई अलग अलग तरह की पगड़ी भी पहनते हैं। गरबा रास में जोड़ियाँ एक साथ गरबा करती है।
डांडिया रास में पुरुष और महिलाऐं डांडिया हाथो में लेकर नृत्य करते हैं। वो बड़े गोले बनाकर या आमने सामने डांडिया रास करते है। गरबे के संगीत के साथ डांडियो की आवाज गुजरात के लोक नृत्य को चार चाँद लगा देती है।
5) पश्चिम बंगाल के लोक नृत्य
भारत के पूर्व में स्थित राज्य पश्चिम बंगाल अपनी विविधता, संस्कृति और व्यंजनों खासकर रसगुल्ला और सन्देश जैसी मिठाइयो और वेशभूषा के लिए प्रसिद्ध है। परन्तु भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) की सूचि में भी ये पीछे नहीं हैं। ढाली, जात्रा और छाऊ पश्चिम बंगाल के लोक नृत्य (Pashchim Bengal ke lok nritya) हैं। जात्रा प्राची पारंपरिक लोक नृत्य है। छाऊ नृत्य दुर्गा पूजा के दौरान किया जाता है। इसे करते वक्त अलग अलग तरह के नकाब पहने जाते हैं।
ब्रिता नृत्य ग्रामीण महिलाओं द्वारा ईश्वर से बच्चा पाने का आशीर्वाद लेने के लिए और चिकन पॉक्स जैसी बीमारी से ठीक हो जाने पर आभार दने के लिए किया जाता है। ये खासकर मंदिर में किया जाता है। इसके अलावा गम्भीरा नृत्य और संथाल नृत्य भी पश्चिम बंगाल के लोक नृत्य (Pashchim Bengal ke lok nritya) हैं। संथाल लोकनृत्य प्रकर्ति को बनाए रखने की प्रार्थना करने के लिए किया जाता है।
6) असम के लोक नृत्य
भारत के उत्तर पूर्व में बसा असम अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के साथ साथ भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) के सन्दर्भ में भी प्रसिद्ध है। झूमूरा, नटपूजा, बिहू, नागानृत्य, महारास आदि असम के लोक नृत्य (Assam ke lok nritya) हैं। इन सब में सबसे ज्यादा लोकप्रिय बिहू नृत्य है। इसे ग्रामीण इलाको में फसल की कटाई करने के बाद किया जाता है। इसे असम के लोग कुर्ता, धोती और गमछा पहकर करते हैं।
जो भी असम जाता है वो वहां के इस पारंपरिक नृत्य को करना जरुर चाहता है। इस नृत्य को ढोल की ताल पर किया जाता है। इस lok nritya में सभी पुरुष और महिलाऐं एक सीधी रेखा में खड़े होते हैं और फिर ढोल की धुन पर एक साथ लय में नृत्य करते हैं।
7) उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य
उत्तर प्रदेश राज्य भारत के उत्तर हिस्से में स्थित राज्य है। झुला नृत्य, मयूर नृत्य, नरसिंह नृत्य, चरकुला नृत्य, घड़ा नृत्य, कीर्तन नृत्य, देवी नृत्य, रास नृत्य आदि उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य (Uttar Pradesh ke lok nritya) हैं।
झुला नृत्य ब्रज में श्रावणी मास में मंदिर में किया जाता है। मयूर नृत्य ब्रज में मोर के पंख से बने पहनावे के साथ मोर की तरह झूम झूमकर किया जाता है और नरसिंह नृत्य नरसिंह चतुर्दशी के दिन किया जाता है। चरकुला होली के आस पास के दिनों में किया जाता है। इसे करते वक्त महिलाऐं अपने सर पर 108 दीपक का चरकुला रखती हैं। रास नृत्य रासलीला के दौरान ब्रज में किया जाता है।
भारत के लोक नृत्य की विशेषताएं
- भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) अलग अलग राज्य में अलग अलग है
- हर राज्य की लोक नृत्य उसकी संस्कृति की सुन्दर अभिव्यक्ति है।
- इनकी उत्पत्ति उनके रीति रिवाजो के आधार पर हुई है
- लोक नृत्य सालो से पीढ़ी से पीढ़ी करती आ रही है
- इसे करने के लिए कोई ट्रेनिंग नही लेनी पड़ती है
- हर राज्य की लोक नृत्य उनकी ख़ुशी को अभिव्यक्ति करने का सुन्दर तरीका है
- सभी नृत्यों में अलग अलग वेश भूषा और अलग अलग संगीत होता है
- भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) को पुरुष और महिलाएं सभी करते हैं
लोक नृत्य का महत्व
लोक नृत्य भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। लोकनृत्य अभी भी हमारी परम्पराओं को सालो से उन्नत बनाने रखे हुए हैं। भारत के लोक नृत्य (Bharat ke lok nritya) लोगों की ख़ुशी और उत्सवो को जोश से मनाने का खूबसूरत तरीका है। यह लोक नृत्य हमें दुनिया से अलग और अनोखा बनाते हैं क्यूंकि किसी भी देश में इतने सारे लोकनृत्य नही हैं। ये नृत्य आनंद, ख़ुशी और मनोरंजन करने की एक विकसित कला है। ये सभी लोकनृत्य सांस्कृतिक उत्सवो, त्योहारों, धामिक अनुष्ठानो पर विशेष तौर पर किए जाते हैं। यह लोक नृत्य मानव में उल्लास और उमंग के साथ साथ नई ऊर्जा भी भर देते हैं। ये लोगों में प्रेम और एकता को भी बढ़ावा देते हैं।
भारत के सभी राज्य अपनी अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ साथ साथ अपने अपने लोक नृत्य को आज भी जीवंत रखे हुए हैं। आज भी ख़ुशी के मौके पर lok nritya किया जाता है। इन लोक नृत्यों ने भारत को पूरी दुनिया में विशेष और उत्कृष्ट स्थान दिलाया है।
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