भगवत गीता हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथो में से एक है। इसमें लिखे 18 अध्याय और 700 भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) हमें जीने का सही तरीका समझाते हैं। गीता में लिखे हर वाक्य और श्लोक में हमारी हर दुविधा का समाधान है। इस पवित्र ग्रन्थ में कृष्ण जी द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश वर्णित हैं। इसमें लिखा गया ज्ञान कृष्ण जी ने विराट रूप धारण कर अर्जुन को कुरुक्षेत्र में चल रहे महाभारत युद्ध के दौरान दिया था।
आज के इस कलयुग में जीवन जीने का सार सिखाने वाला पवित्र ग्रन्थ भगवत गीता ही है। जो रोज इसका पाठ करेगा और भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) पढ़ेगा वो हमेशा सुखी, शांत और सफल रहेगा।
भगवत गीता क्या है?
गीता हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथो में से एक है जिसमें कई भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) के माध्यम से जीवन का पूरा सार है। इसमें मनुष्य को जीवन को जीने का सही तरीका समझाया गया है। इस ग्रन्थ में बताया गया कि मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है कर्म। हम जो भी कर्म करते हैं उसका फल इसी जीवन में प्राप्त होता है। महाभारत काल में युद्ध के दौरान अर्जुन को भगवत गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने दिया था।
ये वो पल था जब अर्जुन युद्ध में युद्ध में अपने प्रतिद्वंदी पर हमला नही कर पा रहे थे क्यूंकि युद्ध में उसके सामने उन्हें ही अपने थे, उनके गुरु और पितामह थे जिसका वो बेहद सम्मान करते थे।
उस वक़्त चिंतित और व्यथित अर्जुन को सही राह दिखाने के लिए श्री कृष्ण ने अपने वास्तविक रूप में, विष्णु जी के रूप में आकर उन्हें गीता का ज्ञान दिया था। इस युग को द्वापर युग कहते हैं। द्वापर के इस युग से पहले भी भगवन विष्णु ने भगवत गीता के उपदेश करोडो साल पहले सूर्य देव को सुनाया था। फिर उनसे मिले ज्ञान को सूर्य देव ने अविश्वान मनु को दिया। मनु ने यही ज्ञान की धरा को अपनी पूर्ति सुवाकू को दिया। सुवाकू ने इसे राज्य के ऋषियों को दिया।
इसी तरह ये ज्ञान एक से दूसरे को मिलता गया। दीर्घ काल में यह ज्ञान कही विलुप्त हो गया था लेकिन ये फिर से द्वापर युग में आया जब कृष्ण ने अर्जुन को गीता सार का ज्ञान दिया। भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) का संग्रह गीता किताब के रूप में हम सबके पास है।
भगवत गीता किसने लिखी है?
आज से करीबन 5070 साल पहले श्रीमद्भागवद्गगीता लिखी गई थी। इसे महाभारत युद्ध के मैदान में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था। इसी ज्ञान के सार को महर्षि वेद व्यास जी ने संकलित किया। पहले भगवत गीता संस्कृत में लिखी गयी थी जिसे पढ़ पाना और समझ पाना मुश्किल था उस वक्त श्रीमद्भागवत गीता का हिंदी में अनुवाद हुआ।
आज हिंदी अनुवादित भगवत गीता को सभी हिन्दू बढ़ी ही श्रद्धा के साथ पढ़ते हैं। इसके मूल रूप का निर्माण तो स्वयं परमात्मा ने किया।
9 Bhagwat Geeta Shlok in Hindi With Meaning (भगवत गीता श्लोक हिंदी)
भगवत गीता में कुल 18 अध्याय हैं और करीबन 700 श्लोक हैं जिसमें जीवन के रहस्यों के गुण मन्त्र छिपे हुए हैं। आज हम आपको कुछ भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) और उसके अर्थ बताएंगे जो आपके जीवन को सही राह दिखाने में जरुर काम आएगे। कुछ प्रमुख और लोकप्रिय श्लोक उसके भावार्थ के साथ हमने प्रस्तुत किए हैं।
भगवत गीता श्लोक 1
सत्वं सुखे सञ्जयति रज: कर्मणि भारत।
ज्ञानमावृत्य तु तम: प्रमादे सञ्जयत्युत॥
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) में श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है – “हे अर्जुन! सत्त्वगुण मनुष्य को सुख में बाँधता है, रजोगुण मनुष्य को सकाम कर्म में बाँधता है, और तमोगुण मनुष्य के ज्ञान को ढँक कर प्रमाद में बाँधता है।”
भगवत गीता श्लोक 2
यया धर्ममधर्मं च कार्यं चाकार्यमेव च।
अयथावत्प्रजानाति बुद्धिः सा पार्थ राजसी।।
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) में श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है – “हे पार्थ ! मनुष्य जिस बुद्धि के द्वारा धर्म और अधर्म को तथा कर्तव्य और अकर्तव्य को भी यथार्थ नहीं जानता, वह बुद्धि राजसी है।”
भगवत गीता श्लोक 3
अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च पौरुषम्।
मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते।।
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) का भाव है कि जो कर्म परिणाम, हानि, हिंसा और सामर्थ्य को न विचारकर केवल अज्ञान से आरम्भ किया जाता है, वह तामस कहा जाता है।
भगवत गीता श्लोक 4
शौर्यं तेजो धृतिर्दाक्ष्यं युद्धे चाप्यपलायनम्।
दानमीश्वरभावश्च क्षात्रं कर्म स्वभावजम्।।
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) में श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है कि शूरवीरता, तेज, धैर्य, चतुरता और युद्ध में न भागना, दान देना और स्वामीभाव – ये सब-के-सब ही क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्म हैं।
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भगवत गीता श्लोक 5
श्रद्धावाननसूयश्च श्रृणुयादपि यो नरः।
सोऽपि मुक्तःशुभाँल्लोकान्प्राप्नुयात्पुण्यकर्मणाम्।।
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) का भाव है कि जो मनुष्य श्रद्धायुक्त और दोषदृष्टि से रहित होकर इस गीताशास्त्र को श्रवण भी करेगा, वह भी पापों से मुक्त होकर उत्तम कर्म करने वालों के श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त होगा।
भगवत गीता श्लोक 6
यो न ह्यष्यति न द्वेष्टि न शोचति न कांक्षति।
शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः।।
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) में श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है कि जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है – वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है।
भगवत गीता श्लोक 7
जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः।
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन।।
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) में श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है कि – “हे अर्जुन ! मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं। इस प्रकार (मेरे जन्म और कर्म को) जो मनुष्य तत्त्व से जान लेता है, वह शरीर का त्याग करके पुनर्जन्म को प्राप्त नहीं होता, अपितु मुझे प्राप्त होता है।”
भगवत गीता श्लोक 8
विद्याविनयसंपन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः।।
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) का भाव है कि ज्ञानी महापुरुष विद्या-विनय युक्त ब्राह्मण में और चाण्डाल में तथा गाय, हाथी एवं कुत्ते में भी समरूप परमात्मा को देखने वाले होते हैं।
भगवत गीता श्लोक 9
यस्य नांहकृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते।
हत्वापि स इमाँल्लोकान्न हन्ति न निबध्यते।।
इस भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Geeta shlok in hindi) का भाव है कि जिस पुरुष के अन्तःकरण में ‘मैं कर्ता हूँ’ ऐसा भाव नहीं है तथा जिसकी बुद्धि सांसारिक पदार्थों में और कर्मों में लेपायमान नहीं होती, वह पुरुष इन सब लोकों को मारकर भी वास्तव में न तो मरता है और न पाप से बँधता है।
भगवत गीता में कितने श्लोक है ?
भगवत गीता एक पवित्र ग्रन्थ है जिसमें कुछ 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। भगवत गीता को सप्तशती भी कहते हैं।
- पहले अध्याय में 48 श्लोक हैं
- दूसरे अध्याय में 72 श्लोक
- तीसरे अध्याय में 43 श्लोक
- चौथे अध्याय में 42 श्लोक
- पांचवे अध्याय में 29 श्लोक
- छठे अध्याय में 47 श्लोक
- सातवे अध्याय में 30 श्लोक
- आठवे अध्याय में 28 श्लोक
- नवे अध्याय में 34 श्लोक
- दसवे अध्याय में 42 श्लोक
- ग्यारहवे अध्याय में 55 श्लोक
- बारहवे अध्याय में 20 श्लोक
- तेरहवे अध्याय में 35 श्लोक
- चौदहवे अध्याय में 27 श्लोक
- पंद्रहवे अध्याय में 20 श्लोक
- सोलहवे अध्याय में 24 श्लोक
- सत्रहवे अध्याय में 28 शोल्क
- अठारहवे में 78 श्लोक है
भगवत गीता के हर अध्यायका अलग अलग नाम है:
- पहला अध्याय – अर्जुन विषाद योग
- दूसरा अध्याय – सांख्य योग
- तीसरा अध्याय- कर्म योग
- चौथा अध्याय – ज्ञान कर्म सन्यास योग
- पांचवा अध्याय- कर्म सन्यास योग
- छठा अध्याय- आत्म संयम योग
- सातवा अध्याय- ज्ञान विज्ञान योग
- आठवा अध्याय- अक्षरब्रह्मा योग
- नवा अध्याय- राज विद्या राज गुह्यः योग
- दसवा अध्याय – विभूति योग
- ग्यारहवा अध्याय – विश्वरूपदर्शन योग
- बाहरवा अध्याय- भक्ति योग
- तेरहवा अध्याय – क्षेत्रक्षेत्र विभाग योग
- चौदहवा अध्याय – गुणत्रयविभाग योग
- पंद्रहवा अध्याय – पुरुषोतम योग
- सोलहवा अध्याय – देवासुरसम्पद्विभाग योग
- सत्रहवा अध्याय –श्रधात्रयविभाग योग
- अठारहवा अध्याय- मोक्षसन्यासयोग
भगवत गीता हमारी भारतीय संस्कृति का आधार है। इसके रचयिता महर्षि वेद व्यास जी हैं। ये सभी धार्मिक ग्रंथो में सबसे लोकप्रिय ग्रन्थ है। इसमें धार्मिक सहिष्णुता को बड़े ही खूबसूरत और प्रभावशाली तरीके से बताया गया है। इसमे बताया गया है कि मनुष्य का असली धर्म है बिना फल की इच्छा किए अपने कर्म करना। अपने धर्म का पालन करना। इसमें समझाया गया है कि मनुष्य को अपने अहंकार नही करना चाहिए क्योकि जहाँ अहंकार होता है वहां ज्ञान नही होता। अहंकारी व्यक्तियों को गुरु का आशीर्वाद नही मिलता।
ऐसा माना जाता है जो व्यक्ति नियमित रूप से Bhagwat Geeta shlok का पाठ करेगा या सुनेगा वो सभी पापो से मुक्त होगा और उसे मृत्यु के बाद स्वर्ग मिलेगा। इसे रोज पढने और सुनने से मनुष्य सभी दुखो से छुट जाएगा। ये शाश्त्र मानव जाति को सही राह चुनने में मदद करता है। इसमें मनुष्य के हर सवाल का जवाब मौजूद है। अगर कोई व्यक्ति जीवन में किसी भी दुविधा में फसा हो और उसे समझ नही आ रहा हो कि वो इस मुश्किल का समाधान कैसे करे तो उसे भगवत गीता पढनी चाहिए उसे उसकी मुश्किल का हल मिल जाएगा।
जो लोग हमेशा ही तनाव में रहते हैं उन्हें भगवत गीता पढने का नियम बना लेना चाहिए। इसे पढकर वो चिंतामुक्त हो जाएँगे। गीता में लिखा है कि यदि हमे हमारे कार्य में सफलता नही मिल रही तो अशांत नही होना चाहिए। शांत मन से अपने काम में लगे रहना चाहिए। ऐसा भी बताया गया है कि सफलता और असफलता जीवन में आती रहेगी, निराश न होकर शांत मन से अपने कर्म करते रहे।
Bhagwat geeta shlok में ये भी बताया गया है कि मनुष्य को खुश रहना है तो इच्छाओ को जीवन पर हावी नही होने देना चाहिए और जो है उसी में संतुष्ट होकर खुश रहना चाहिए।
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