मानव के शरीर में ऊर्जा के 7 केंद्र माने गए हैं, जिन्हें शरीर के 7 चक्र कहा गया है। ये 7 chakras of body in hindi शरीर में ऊर्जा का स्त्रोत होते हैं तथा रीढ़ की हड्डी के आधार से शुरू होते हुए सिर के पीछे चोटी के स्थान तक जाते हैं। ये ऊर्जा चक्र शरीर के विभिन्न अंगों और रोगों को प्रभावित करते हैं।
इन चक्रों के बारे में बृहदारण्यक उपनिषद में उल्लेख है कि इसी जन्म में यदि परब्रह्म को जान लो तो आपकी सफलता है अन्यथा यदि ना जान सके तो इस जन्म मरण के चक्र से नहीं छूट सकते। परब्रह्म को जानने से पहले हमें आत्मा को जानना होगा, जो समाधि के द्वारा ही संभव है।
ग्रंथों में ऐसा वर्णन है कि जब व्यक्ति स्वप्न अवस्था से सुषुप्ति अवस्था में जाता है, तब उस अवस्था में परब्रह्म के दर्शन प्राप्त करता है। इस मार्ग में विभिन्न रंगों की ज्योतियाँ दिखाई देती हैं, जैसे सफ़ेद, नीला, हल्का पीला, लाल, हरा आदि। आगे ऋषि कहते हैं कि व्यक्ति ज्ञान और साधना के द्वारा ही परब्रह्म को प्राप्त कर सकता है।
क्या है 7 चक्र (7 Chakras Of Body In Hindi)
मानव शरीर में 7 ऐसे स्थान बताये गए हैं, जो मनुष्य की ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं। ये 7 चक्र (7 chakras of body in hindi) भौतिक रूप से नजर नहीं आते, अपितु इन्हें आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में माना जाता है। ये सभी 7 चक्र (7 chakras of body in hindi) मानव शरीर में ऊर्जा के केंद्र होते हैं तथा यदि इन सभी चक्रों को जागृत कर लिया, तो मनुष्य अनेक सिद्धियों का स्वामी बन जाता है तथा भूत, वर्तमान और भविष्य काल का ज्ञाता हो जाता है।
सात चक्र के नाम (7 Chakras Of Body In Hindi)
शरीर में ये 7 चक्र (7 chakras of body in hindi) रीढ़ की हड्डी के सबसे नीचे से प्रारम्भ होते हुए मनुष्य की चोटी के स्थान तक रहते हैं। इन 7 चक्र के नाम (7 chakras of body in hindi) इस प्रकार है –
1) मूलाधार चक्र
7 चक्र (7 chakras of body in hindi) में पहला चक्र है मूलाधार चक्र, इसका रंग लाल और तत्व पृथ्वी है तथा इसका बीज मंत्र “लं” है, इसे गणेश चक्र भी कहा जाता है। मनुष्य के गुदाद्वार और जननेन्द्री के बीच यह स्थित होता है तथा हड्डियों का ढांचा इस चक्र पर निर्भर है। मूलाधार चक्र के असंतुलित होने से हड्डियां, दांत, नाख़ून, किडनी, पाचन तंत्र आदि से सम्बंधित रोग हो सकते है।
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2) स्वाधिष्ठान चक्र
7 चक्र के नाम (7 chakras of body in hindi) में दूसरा चक्र है स्वाधिष्ठान चक्र, इसका रंग नारंगी, जल तत्व तथा बीज मंत्र “वं” है, इसे Sacral Plexus चक्र भी कहते हैं। इसका स्थान नाभि से दो इंच नीचे माना जाता है तथा यह अंडाशय, अंडकोष और प्रजनन प्रणाली को नियंत्रित करता है। इस चक्र के असंतुलित होने से लोअर बैक पैन, मूत्र सम्बन्धी समस्याएं, खराब पाचन, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, थकान, महिलाओं में मासिक धर्म आदि समस्याएं हो सकती हैं।
3) मणिपुर चक्र
7 चक्र के नाम (7 chakras of body in hindi) में अगला चक्र है मणिपुर चक्र, इसका रंग पीला, अग्नि तत्व तथा बीज मंत्र “रं” है, इसे Solar Plexus चक्र भी कहते हैं। इसका स्थान नाभि के पीछे माना जाता है तथा यह अग्नाशय ग्रंथि को नियंत्रित करता है। इस चक्र के असंतुलित होने से मधुमेह, गठिया, पेट के रोग, ट्यूमर आदि रोग हो सकते हैं।
4) अनाहत चक्र
अनाहत चक्र का रंग हरा, वायु तत्व तथा बीज मंत्र “यं” है। इसका स्थान हृदय के पास छाती के बीच में हल्का सा बायीं और माना जाता है तथा यह थायमस ग्रंथि को नियंत्रित करता है। इस चक्र के असंतुलित होने से हृदय रोग, एलर्जी, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ब्रेस्ट कैंसर आदि रोग हो सकते हैं।
5) विशुद्धि चक्र
7 चक्र के नाम (7 chakras of body in hindi) में अगला चक्र है विशुद्धि चक्र, इसका रंग नीला तथा बीज मंत्र “हं” है, इसे Throad चक्र भी कहते हैं। इसका स्थान दोनों कॉलर बोन्स के मध्य में स्थित होता है, इसकी शक्ति वाक् शक्ति है तथा यह थाइरॉयड ग्रंथि को नियंत्रित करता है। इस चक्र के असंतुलित होने से थाइरॉयड, मसूड़ों और गले के रोग हो सकते हैं।
6) आज्ञा चक्र
आज्ञा चक्र का रंग इंडिगो तथा बीज मंत्र “ॐ” है। इसका स्थान मनुष्य की दोनों भोंहों के बीच में होता है तथा यह हमें तर्क शक्ति प्रदान करता है। इस चक्र के असंतुलित होने से मस्तिष्क, आँख, नाक, कान सम्बन्धी रोग तथा सिरदर्द, आँखों में दर्द, घबराहट आदि समस्याएं हो सकती हैं।
7) सहस्त्रार चक्र
7 चक्र के नाम (7 chakras of body in hindi) में अंतिम चक्र है सहस्त्रार चक्र, इस चक्र का रंग बैंगनी है तथा इसका स्थान सिर के पीछे चोटी वाले स्थान पर होता है, यही कारण है कि इसे Crown चक्र भी कहते हैं। इसके असंतुलन से मानसिक तनाव, प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता आदि समस्याएं हो सकती है।
सात चक्र, शरीर में उनके स्थान तथा प्रमुख कार्य
नाम | अंग्रेजी नाम | स्थान | बीजमंत्र | प्रभावित होने वाले अंग | होने वाले रोग |
मूलाधार चक्र | Root Chakra | गुदाद्वार और जननेन्द्री के बीच | लं | हड्डियों का ढांचा | हड्डियां, दांत, नाखून, किडनी, पाचन तंत्र आदि से संबंधित रोग |
स्वाधिष्ठान चक्र | Sacral Plexus | नाभि से दो इंच नीचे | वं | ओवरीज़, टेस्टिकल्स एवं रिप्रोडक्टिव सिस्टम | लोअर बैक पैन, मूत्र सम्बन्धी समस्याएं, खराब पाचन, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, थकान, महिलाओं में मासिक धर्म आदि |
मणिपुर चक्र | Solar Plexus | नाभि के पीछे | रं | पैनक्रियेटिक ग्रंथि | मधुमेह, गठिया, पेट के रोग, ट्यूमर आदि रोग |
अनाहत चक्र | Heart Chakra | सीने के मध्य में | यं | थायमस ग्रंथि | हृदय रोग, एलर्जी, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ब्रेस्ट कैंसर आदि रोग |
विशुद्धि चक्र | Throat Chakra | दोनों कॉलर बोन्स के मध्य | हं | थाइरॉयड ग्रंथि | थाइरॉयड, मसूड़ों और गले के रोग |
आज्ञा चक्र | Third-Eye Chakra | दोनों भोंहों के मध्य | ॐ | पीनियल ग्रन्थि | मस्तिष्क, आँख, नाक, कान सम्बन्धी रोग तथा सिरदर्द, आँखों में दर्द, घबराहट आदि समस्याएं |
सहस्त्रार चक्र | Crown Chakra | सिर के पीछे चोटी वाले स्थान पर | पीयूष ग्रन्थि | मानसिक तनाव, प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता आदि समस्याएं |
जब किसी साधक के ये सभी 7 चक्र जागृत हो जाते हैं, तो साधक को एक असीम आनंद की अनुभूति होती है, साथ ही साधक को मानसिक और शारीरिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। साधक की याददाश्त, एकाग्रता और मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है तथा उसका मन शांत और तनाव रहित रहता है।
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Frequently Asked Questions
Question: सात चक्र (7 chakras of body in hindi) कौन कौन से हैं?
मानव शरीर में स्थित 7 चक्र के नाम (7 chakras of body in hindi) हैं – मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्त्रार चक्र।
Question: सभी 7 चक्र जागृत (7 chakras of body in hindi) जागृत होने पर मनुष्य पर क्या प्रभाव होता है?
सभी 7 चक्र जागृत होने पर मनुष्य को एक असीम आनंद की अनुभूति होती है, साथ ही साधक को मानसिक और शारीरिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। साधक की याददाश्त, एकाग्रता और मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है तथा उसका मन शांत और तनाव रहित रहता है।
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